Wednesday, 4 June 2014

JANSAMPARK NEWS 4-6-14

जिला जनसंपर्क कार्यालय, बुरहानपुर मध्य प्रदेश
समाचार
अब मिलेंगा रंगीन मतदाता परिचय-पत्र
बुरहानपुर /4 जून, 2014/ कलेक्टर श्री आशुतोष अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुरूप मतदाता सूची में जुड़ने वाले नवीन मतदाताओं को कलर पी.व्ही.सी. इपिक कार्ड जारी करने का कार्य गत 1 जून 2014 को प्रारंभ हो गया है।
    1 जनवरी, 2014 को 18 वर्ष पूर्ण करने वाले मतदाताओं का नाम विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण जनवरी, 2014 के दौरान तथा लोकसभा निर्वाचन के पूर्व निरंतर अद्यतनीकरण के जरिए जोड़कर उनको मताधिकार अप्रैल, 2014 में मध्य प्रदेश में संपन्न लोकसभा निर्वाचन के दौरान करने का अवसर दिया गया था। अब ऐसे छूटें हुए मतदाता, जो गत 1 जनवरी, 2014 के दिन 18 वर्ष पूर्ण कर लिये हैं, लेकिन अपना नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं कर पाए और अन्य मतदाता जिनका नाम मतदाता सूची में नाम दर्ज नहीं है, वह सभी नागरिक अपना नाम मतदाता सूची में जोड़ने के लिये फार्म-6 में एस.डी.एम. या तहसीलदार या बूथ लेबल ऑफिसर या मतदाता सहायता केन्द्र आदि के माध्यम से आवेदन कर सकते है। ऑनलाइन आवेदन की सुविधा से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय की वेबसाइट ूूूण्बमवउंकीलंचतंकमेीण्दपबण्पद तथा एमपी ऑनलाइन पर उपलब्ध है।
    जिन मतदाताओं के पूर्व में इपिक कार्ड हैं या गुम गए अथवा नष्ट हुए हैं, तो वह डुप्लीकेट पहचान-पत्र प्राप्त करने के लिये ई.पी.आई.सी. 002 फार्म में निर्धारित शुल्क के साथ तथा यदि निर्वाचक स्वेच्छा से कलर फोटो के साथ नया पी.व्ही.सी. इपिक कार्ड चाहते हैं, तो वह नये रंगीन फोटो के साथ फार्म-8 में आवेदन कर निर्धारित शुल्क देकर कलर पी.व्ही.सी. फार्मेट में जारी होगा। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा पूर्व में जारी इपिक भी कार्ड वैध रहेंगे।
क्रमांकः 31/जून/341/2014

हरियाली महोत्सव-2014
कलेक्टर ने सरपंच और सचिवों को दिये नीम के 1 लाख से अधिक पौधें लगाने के निर्देश
कड़वे नीम के मीठे गुण
झाड़ी में नीम बीज बोने का सुझाव
नीम एक औषद्यीय वृृक्ष
बुरहानपुर /4 जून, 2014/ कलेक्टर श्री आशुतोष अवस्थी ने जिले के सरपंच, सचिव, वाटरशेड कमेटी के अध्यक्ष, पटवारी, कोटवार, सचिव जनअभियान परिषद को पत्र लिखकर जिले में आगामी वर्षा ऋतु में नीम के 1 लाख से अधिक पौधे लगाने के निर्देश दिये हैं। हरियाली महोत्सव के तहत भूजल स्तर सुधारने, हरियाली बढ़ाने, बिगडे़ वनो को सुधारने और पर्यावरण सुधारने के लिये जिले में अगले 3 माह तक विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिये हैं।
    कलेक्टर श्री अवस्थी ने जारी पत्र में कहा है कि नीम के पेड़ों की बहुलता के कारण ही यह क्षेत्र निमाड़ के नाम से जाना जाता है। बुरहानपुर जिला निमाड़ क्षेत्र का ही एक भाग है, जहाँ नीम के पेड़ अधिकता से पाये जाते हैं। किसी जमाने में बुरहानपुर हरा-भरा एवं प्राकृृतिक रूप से संपन्न था। इसी के कारण यहां पग-पग रोटी, डग-डग नीर की कहावत प्रचलित थी। पिछले दशकों के जंगलों के अन्धाधुन्ध दोहन के दौरान हमने बहुपयोगी नीम, पीपल, बरगद जैसे पूजे जाने वाले पेड़ काट डालें और अब लगातार सूखे एवं प्राकृृतिक आपदाओं का सामना कर रहे हैं।
    आगामी जुलाई माह में जिले में हरियाली महोत्सव 2014 अंतर्गत वृृक्षों की संख्या बढ़ाने का वृृक्षारोपण अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान का प्रमुख उद््देश्य बुरहानपुर को उसका पुराना पर्यावरण लौटाना है। अभियान का प्रमुख घटक है, नीम बीज रोपण प्रायः नीम वृृक्ष से निम्बोली जून माह के आखिर से जुलाई मध्य तक गिर जाती है। ताजे गिरे नीम फल को यदि समय रहते गुदा साफ करके बो दिया जाये तो अंकुरण का प्रतिशत 85 तक रहता है। नीम का पौधा प्राकृृतिक अवस्था में झाड़ियों में खेती की बागड़ में आश्रय पाकर बढ़ता है। जब निम्बोली पक कर मीठी हो जाती है, तब पक्षी बड़े चाव से खाता है। वह नीम के पेड़ के उड़ कर किसी झाड़ी की टहनी पर बैठकर आराम करता है। झाड़ी पर बैठा पक्षी जब बीट करता है, तो नीम का बीज बीट के माध्यम से झाड़ी में गिर जाता है। झाड़ी का आश्रय पाकर नीम बीज अंकुरित होता है। झाड़ी में विद्यमान नमी एवं छाया, अनुकूल वातावरण माता की कोख का काम करता है। यही अंकुरित नन्हा पौधा एक दिन विशाल नीम वृृक्ष बन जाता है।
    भारतीय औषद्यि वृृक्षों मंें नीम इतने चमत्कारिक गुणों वाला वृृक्ष है कि विदेशी लोग इसका पेटेंट प्राप्त करने के लिए लालायित हैं। नीम वृृक्ष का प्रत्येक हिस्सा पत्ती, फल, बीज, छाल, जड़, तेल सभी कुछ कितना उपयोगी, गुणकारी एवं औषद्यि महत्व का है, इससे प्रत्येक भारतवासी परिचित है। नीम वृृक्ष आसपास के समूचे पर्यावरण को स्वच्छ एवं लाभदायक बना देता है। प्राचीन ग्रंथ पुराण में इसका आयुवर्द्धक वृृक्ष के रूम में वर्णन किया गया है। सौभाग्य से चमत्कारिक औषद्यि गुणों वाले, बहुउपयोगी एवं लगभग सदाबाहर वृृक्ष नीम को वर्षा ऋतु के दौरान समुचित रूप से बीज बुआई करके आसानी से तैयार किया जा सकता है।
नीम बीज एकत्र कैसें करें
नीम बीज की संख्या प्रति कि.ग्रा. 5000 होती है। बीज से अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए नीम की निम्बोलियों को जब वे पहली बारिश में पककर जमीन पर गिरें इकठ्ठा कर लें या फिर जब वे पीले-हरे रंग की हो वृृक्ष की शाखाओं से तोड़ कर संग्रहीत कर लें। संग्रहण के तुरंत बाद निम्बोलियों का गुदा निकाल दें। गुदा निकालने के लिए निम्बोलियों को कुछ घंटे ठंडे पानी में डूबों कर रखंे। इसके बाद निम्बोलियों को रगड़कर एवं पानी में डूबों कर गूदे से बीज को अलग कर लें या कण्डे की राख से रगड़ कर भी गुदा अलग कर सकते हैं। ज्यादा समय बीज पटक कर रखने से अंकुरण कम होता है। अतः निम्बोलियों से निकाले गये बीज तुरंत बोना आवश्यक है।
बीज कहां बोयंे - सड़क के दोनों ओर गांव की पड़त एवं सार्वजनिक भूमि, नदी नाले के किनारे, खेत की मेढ़ पर स्थित करमदी, सिगारी, लेन्टाना एवं अन्य जंगली झाड़ियों के बीज (जंगली आड़ियों के तनों से सटाकर) बीज रोपित करें। खुले में बीज नहीं लगाएं अन्यथा कुचलकर व तेज धूप से नन्हा पौधा मर जाएगा।
बीज कैसे बोये:- किसी नुकीली लकड़ी से बोने वाले स्थान पर लगभग 5 बाई 5 से.मी. आकार का छोटा-सा गढ््ढा बना लें एवं खोदी गई मिट््टी को भुुर-भुरा कर दें। तदुपरांत जमीन से 2-5 से.मी. नीचे गहराई (याने बीज की मोटाई से दुगनी गहराई) में दो-तीन नीम के बीज डाल कर हल्के से मिट््टी ढंक दंे। एक सप्ताह में बीज अंकुरित हो जाएगा। किसी झाड़ी के नीचे बीज बोने से नव अंकुरित पौधे की सुरक्षा बेहतर होती है। बकरी आदि पौधें को खा नहीं पाती है। प्रकृृति अपने आश्रय में इस प्रकार बोये गये बीज को बहुपयोगी नीम वृृक्ष में परिवर्तित कर देगी।
अभियान की सफलता हेतु क्या ध्यान रखे:- नीम के बीज (निंबोली) गिरने का अनुकूल समय आने वाला है। प्रत्येक ग्राम में पर्याप्त मात्रा में बीज एकत्र करा लें, क्रय कर लें। अन्यथा समय निकल जाने पर बीज नहीं मिलेगा। स्थानीय तौर पर किसी व्यक्ति को जिम्मेदारी दें व बीज एक़ करने व सफाई की विधि बता दें। पकी हुई निम्बोलियों को पानी में गलाकर साफ करना जरूरी है। कण्डें की राख में मसलकर भी निम्बोली के छिलके उतार कर बीज साफ कर सकते हैं, अन्यथा बीज पर छिलका सूखनें से बीज अंकुरण कम होगा। बीज रोपण सात दिवस के भीतर करना जरूरी है। अन्यथा अंकुरण नहीं होगा और आपकी मेहनत व्यर्थ हो जायेगी। ग्राम में तत्काल पटेल, सरपंच, मुखिया एवं ग्रामवासियों से बातचीत करें व अभियान के बारे में बताएं अन्यथा ग्रामवासियों की भागीदारी प्राप्त नहीं होगी। नीम बीज का रोपण छोटी झाड़ियों के नीचे तने के पास करें, झाड़ियों का संरक्षण अंकुरण उपरांत नन्हा पौधा विषाल वृक्ष बनेगा। अन्यथा खुले में बीज रोपित करने से धूप से पौधा कुम्हला कर मर जायेगा। पषुओं के आवागमन से रूधकर मर जायेगा। बीज रोपते समय बीज की मोटाई के बराबर मिट्टी छिले और तीन-चार बीज डालकर मिट्टी से ढांक दें। अन्यथा नमी के अभाव में ऊपर पड़ा बीज अंकुरित नहीं होगा। बीज रोपने के लिये पिराण या अलीता का उपयोग करें अन्यथा झाड़ियों के काटे से हाथ घायल हो जाएगा और बीज झाड़ियों के अंदर की तरफ रोपित नहीं किया जा सकेगा।
कड़वे नीम के मीठे गुण क्या हैं ? -  नीम अपने कड़वेपन के लिये प्रसिद्ध है, पर इसके गुण बडे़ होते है। जिन दिनों नीम की नयी पत्तियां आती है तब इन कोपलो को प्रतिदिन प्रातः खूब चबाकर 15-20 दिन भी खा लिया जाए तो वर्ष भर तक फोड़े-फुन्सी, चर्मरोग, रक्त विकार और ज्वर के आक्रमण से बचा जा सकता है। नीम के पंचाग में शोधन करने की अद््भूत शक्ति है। इसकी दातून करने से दांत व मसूडे़ निरोग और मजबूत रहते हैं व मुख शुद्ध रहता है। नीम की साफ पत्ती पानी में डालकर उबालें, स्नान करें तो दाद, खाज आदि चर्मरोग से छुटकारा मिलता है। नीम की पकी निम्बोलियाँ खाने से भी चर्मरोग नष्ट होते हैं और रक्त की अतिरिक्त उष्णता शांत होती है। आयुर्वेद मतानुसार शीतल हल्की, ग्राही पाक के चरकरी अग्निपात, प्यास, ज्वर, अरूचि, कृृमिघाव, पित्त, कफ, वमन और प्रमेह को नष्ट करती है। इसके तेल में गन्धक का अंश होता है अतः नीम के तेल से मालिश करने से चर्मरोग नष्ट होते है। नीम तेल कीटनाशक का काम करता है।
क्रमांकः 32/जून/342/2014

स्कूल चलो अभियान में अभिनव प्रयोग
पीले चावल देकर आमंत्रित करेंगे स्कूल में बच्चों को
बुरहानपुर /4 जून, 2014/ गत दिवस कलेक्टर श्री अवस्थी ने स्कूल चलो अभियान को स्वीप के आधार पर संचालित करने के निर्देष दिये थे। जिसके परिपालन में जिला कार्यक्रम अधिकारी एकीकृत बाल विकास सेवा श्री अब्दुल गफ्फार खान मार्गदर्षन में महिला बाल विकास विभाग के मैदानी अमले के द्वारा स्कूल चलो अभियान के अन्तर्गत नव प्रवेषी एवं शाला त्यागी बच्चों का सर्वे कर सूची संबंधित शाला के षिक्षकों को उपलब्ध कराई जाकर इन बच्चों के पालकों को शाला प्रवेषोत्सव में भाग लेकर बच्चों को स्कूल में भर्ती करने हेतु पीले चावल देकर आमंत्रित किया जा रहा है। जिले में आंगनवाडी कार्यकर्ताओं द्वारा स्वयं को प्रेरक के रुप में भी पंजीबद्ध कराया गया है। उल्लेखनीय है कि कोई भी व्यक्ति फोन न0 0755-2570000 पर मिस काल देकर प्रेरक के रुप में पंजीकृत हो सकता है।
    आगामी 10 जून, 2014 को आंगनवाडी केन्द्रों पर विषेष मंगल दिवस का आयोजन कर आंगनवाड़ी केन्द्रों में दर्ज बच्चों को शाला में प्रवेष हेतु बिदाई दी जाकर शाला में नाम दर्ज कराया जायेगा।
टीपः-फोटोग्राफ संलग्न
क्रमांकः 33/जून/343/2014

पर्यावरण दिवस पर सामूहिक दौड़ आज
बुरहानपुर /4 जून, 2014/ नेहरू युवा केन्द्र के तत्वावधान में आज पर्यावरण दिवस 5 जून, 2014 को प्रातः 6.30 बजे जय स्तंभ चौक से सामूहिक दौड़ का आयोजन किया गया है। इस सामूहिक दौड़ का उद्देश्य पर्यावरण सुधार, वृृक्षा रोपण और शाला त्यागी बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करना है। दौड़ का समापन गांधी चौक पर किया जायेगा। इस सामूहिक दौड़ को कलेक्टर श्री आशुतोष अवस्थी हरि झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। यह जानकारी जिला युवा समन्वयक श्री अजीज डिप्टी ने दी।
क्रमांकः 34/जून/344/2014

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JANSAMPARK NEWS 30-08-18

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