Thursday, 13 February 2014

JANSAMPARK NEWS 13-2-14

जिला जनसंपर्क कार्यालय, बुरहानपुर मध्य प्रदेश
समाचार
वन रक्षा करने वालों की करता है सुरक्षा
वनऔषधि पर आधारित है संपूर्ण आयुर्वेद शास्त्र
बुरहानपुर /13 फरवरी 2014/जनसंख्या, उद्योग एवं कृषि विस्तार के फलस्वरूप आधुनिक युग में वन क्षेत्रों में आयी कमी से प्राकृृतिक संतुलन बिगड़ गया है। औद्योगीकरण से वायु, भूमि एवं जन दूषित होते जा रहे हैं और मानव सभयता का अस्तित्व खतरे में पड़ गया हैं। इस कारण आज हमारा मुख्य कर्तव्य प्राकृृतिक संतुलन को यथासंभव उसी रूप में बनाये रखना हैं, जैसा प्रकृृति ने हमें प्रदान किया। वन आर्द्रता एवं जलवायु चक्र में आकस्मिक परिवर्तमन पर काफी प्रभावशील रोक लगाते हैं। वृृक्ष समूह में प्रारंभ से ही मानव जीवन एवं वातावरण को प्रभावित किया हैं। बडे़ शहरों एवं कस्बों मे मानव जीवन दिनों दिन प्रदूषण युक्त होता जा रहा हैं। इस प्रदूषण से मुक्ति प्राकृृतिक वातावरण से, प्रकृृति की गोद में मिल सकती हैं। फूलों की सुगंध, वृृक्षों की हरियाली, झरनों से कल-कल बहता पानी एवं वन्य प्राणीयों के विचरण की छटा तनाव मुक्ति का साधन हैं।
    हमारा सारा जीवन वृृक्षों पर ही निर्भर हैं। पेड़, पौधें, झाड़ियों, वन एवं वनस्पतियां इनके बिना इंसान का नहीं चल सकता, जन्म से मृृत्यु तक वृृक्ष हमारे साथ हैं खाना पकाना और आग तापने के लिये जलाऊ चाहिए, मवेशियों का चारा चाहिए, हल बख्खर, गाड़ी, झुग्गी-झोपड़ी के लिये भी लकड़ी, बांस काटे आदि चाहिए और चिता जलाने के लिये भी लकड़ी चाहिए, बीमारी के इलाज के लिये औषधि चाहिए। यह सभी हमको वनों से प्राप्त होता हैं। भगवान धनवन्तरि का संपूर्ण आयुर्वेद शास्त्र वनों की जड़ी-बूटियों पर आधारित हैं। हर्रा-बहर्रा, अर्जुन की छाल, आंवला, पिपरी आदि जंगलों में भी पैदा होती हैं। केरल में तो गरम मसाले तक जंगल में ही पैदा होतेे हैं।
    आबादी बढ़ रही हैं। रहन-सहन का स्तर बढ़ रहा है व आवश्यकता बढ़ रही हैं किंतु वन क्षेत्र शनैःशनैः घट रहा हैं। मध्य प्रदेश के अनेक हिस्सों में अब जंगल नजर नहीं आता। यदि वन इसी तरह घटते रहे तो हरा भरा क्षेत्र रेगिस्तान बन जायेगा।
वनांे से लाभ:- श्वास लेने के लिये शुद्ध हवा चाहिए। पेड़ जहरीली हवा को शुद्ध हवा में बदलते हैं। हरियाली सबको अच्छी लगती हैं। बिना पेड़ पौधों के हरियाली संभव नहीं, जमीन को उपजाऊ रखने के लिये व नदी, नालों में साफ, पानी बहत रहने के लिये वनों का होना जरूरी है, वनों के रहने से ही सिंचाई के साधनों जैसे तालाब, स्टापडैम, कुंआ, ट्यूबवेल, एवं बांधों का पूर्ण लाभ मिल सकता हैं, भूमि, जल और वायु की रक्षा के लिये वन आवश्यक हैं। जीवनोपयोगी औषधियों एवं औद्योगिक आवश्यकता की मांग वनों से पूरी होती हैं। वन राष्ट्र की अमूल्य संपत्ति तथा राष्ट्र के लिये विकास का साधन भी हैं, प्रकृृति में विभिन्न वन्य प्राणियों का मानव अस्तित्व के लिये बहुत महत्व हैं, उनको भी जीने का हम सभी के समान अधिकार हैं, वनों में पायी जाने वाली लघु वनोपज जैसे, तेंदुपत्ता, साल-बीज, हर्रा, विभिन्न प्रकार की गोंद, दमली, महुआ, चिरोंजी, आंवला आदि ग्रामीणों के लिये आय के स़्त्रोत हैं। लघु वन उपज से अधिकतम आय समाज के अंतिम पंक्ति में खडे़ व्यक्ति को ही प्राप्त होती है, जिनकों आय के अन्य साधन बहुत कम हैं, वनों के विभिन्न कार्य जैसें वृृक्ष एवं बासों की कटाई, वृक्षारोपण एवं विकास कार्य से प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध होता हैं।
आग, अतिक्रमण और कटाई:- वनों की सबसे अधिक क्षति अग्नि से होती है। वृक्ष आग से झुलस जाते हैं, जिससे उनकी लकड़ी खराब हो जाती हैं। वृक्ष प्रजातियों के छोटे पौधें, जो कि भविष्य के वृृक्ष हैं, जलकर नष्ट हो जाते हैं। घास एवं अन्य छोटे पौधें भी पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं। उल्लेखनीय है कि आग से होने वाली क्षति किसी के काम नहीं आती है, परंतु यह कटु सत्य है कि राज्य के वनों का एक बहुत बड़ा भाग प्रत्येक वर्ष अग्नि से जलता हैं।
    वनों का दूसरा शत्रु अवैध कटाई हैं। इस व्यवसाय में लिप्त लोग इमारती वृक्षों कटाई कर अवैध आय अर्जित करते हैं। अवैध कटाई से धीरे-धीरे सघन वन बिगडे़ वनों में बदल आते हैं तथा बिगडे़ वन तो लगभग समाप्त हो जाते हैं।
    वनों पर अनियंत्रित चराई का भी बहुुत हानिप्रद असर होता हैं। इस कारण घास भी वनों में बहुत कम उपलब्ध होती है तथा छोटे-मोटे पौधें मवेशियों के द्वारा चर लिये जाने से आगे बडे़ पौधें तैयार होने की संभावनाएं ही समाप्त हो जाती हैं। वनभूमि पर अतिक्रमण से भी वनक्षेत्र में कमी आती रही हैं। यदि अतिक्रमण से भी वनक्षेत्र में कमी आती रही हैं। यदि अतिक्रमण को दृृढ़ता से रोका नहीं गया, तो वनक्षेत्र ही कम हो जायेगा एवं ग्रामीणों की वन संबंधी आवश्यकता की पूर्ति ही नहीं होंगी। प्रदेश के अनेक ग्रामों में इस प्रकार की स्थिति निर्मित हो चुकी है।
    अतः आवश्यक है कि सभी ग्रामीण महिला एवं पुरूष मिलकर ग्राम वन समिति या वन सुरक्षा समिति बनाएं तथा संयुक्त वनप्रबंधन के माध्यम से वनों की अग्नि, अवैध कटाई, अनियंत्रित चराई तथा अतिक्रमण से वन कर्मचारियों के सहयोग से मिल जुलकर रक्षा करें, ताकि सभी को इमारती लकड़ी, जलाऊ लकड़ी एवं अन्य लघु वनोपज पर्याप्त मात्रा में मिल सकें तथा आने वाली पीढी़ का अच्छे पर्यावरण में सुखद भविष्य सुनिश्चित हो। वन विभाग संयुक्त वन प्रबंधन से ही वनों एवं अन्य प्राणियों के विकास एवं ग्रामीणों के खुशहाल भविष्य का सपना साकार करना चाहता हैं। वन उन्हीं की रक्षा करता हैं, जो उनकी रक्षा करते हैं।
(वन रक्षिते रक्षितः)
                              समाचार क्र.120/2014  

औचक दौरा ‘‘कहीं प्रशंसा तो कहीं फटकार और कही नोटिस
बुरहानपुर /13 फरवरी 2014/ उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ.एम.के.शर्मा द्वारा पशु चिकित्सा इकाई सिंधखेड़ा, सिरपुर, खकनार, तुकईथड़, देड़तलाई, शाहपुर, चापोरा और खामनी का औचक निरीक्षण किया गया। जिसमें सिंधखेड़ा के श्रीराम महाजन ए.व्ही.एफ.ओ. खकनार के डॉ.सतीश साक्य, ए.व्ही.एफ.ओ.श्री एल.एन.गोलकर को अच्छे कार्य के लिये प्रशंसा पत्र दिया गया। वहीं सिरपुर के प्रवीण इंगले, ए.व्ही.एफ.ओ., देड़तलाई के ए.व्ही.एफ.ओ. को फटकार लगाते हुए कार्य पूर्ण न पाये जाने पर कारण बताओ नोटिस दिया गया।
मुख्य ग्राम इकाई खामनी ग्राम की अलमारी को किया सील:- ए.व्ही.एफ.ओ. श्री सी.डी.पाटिल द्वारा यह कहकर कि चाबी बुरहानपुर घर पर छूट गयी हैं। उपसंचालक श्री शर्मा ने ग्रामवासियों एवं पाटिल की उपस्थिति तथा स्थिति ज्ञात हो, इस कारण रिकार्ड व अलमारी को सील किया।
दुग्ध सहकारी समिति खकनार का किया निरीक्षण:- डॉ शर्मा उपसंचालक ने दुग्ध सहकारी समिति खकनार का निरीक्षण किया, वहां नित्य की जाने वाली समस्त प्रक्रिया समझी। साथ ही समिति अध्यक्ष श्री किशोर श्यामराव एवं उपाध्यक्ष श्री श्रीराम महाजन द्वारा किराये के भवन में समिति के ज्याद खर्च के कारण जनपद पंचायत खकनार अंतर्गत एक रिक्त भवन में शिफ्ट करने का आग्रह पर सीईओ श्री दंडोतिया से बात कर समस्या का निराकरण करने हेतु अनुरोध किया। साथ ही निमंदड़, बड़गांव माफी आदि समितियों की भी जानकारी ली गई। डॉ.शर्मा ने दुग्ध समितियों का सुदृृढ़ करने को सुदृृढ़ करने की दिशा हेतु सीईओ श्री डंडोतिया से आग्रह किया कि दुधारू पशु प्रकरण फिल्ड पर ही बनाये जायें तो समितियों में दुग्ध संकलन बढ़ेगा। अन्य नयी समितियाँ बनाने एवं सुदृृढीकरण के लिये डॉ.शर्मा द्वारा दुग्ध संघ बुरहानपुर के प्रबंधक श्री जाधव से विशेष चर्चा की।
आंगनवाड़ियों का किया निरीक्षण:- ग्राम गोपालपुरा खामनी आदि में 4 आंगनवाड़ी केन्द्रों का निरीक्षण भी किया। रिकार्ड््स दुरस्त करने एवं बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के कार्यकर्ताओं को आवश्यक निर्देश भी दिये।
समाचार क्र.121/2014 
 
पशुपालन विभाग बुरहानपुर पहुँचा ‘‘टॉप टेन‘‘ में
बुरहानपुर /13 फरवरी 2014/ राज्य शासन द्वारा हर माह की जाने वाली ग्रेडिंग में विगत माह अक्टूबर में 2013 में पशुपालन विभाग की प्रगति के आधार पर प्रदेश स्तर रैंक 35 वीं थी। विगत दो माहों में की रिपोर्ट के आधार पर यह क्रमशः14 वीं और दिसम्बर अंत तक की प्रगति के आधार पर यह जिला अब ‘‘टॉप टेन‘‘ (दसवें स्थान पर) पर पहुँच गया हैं। यह सभी प्रगति विगत दो तीन माह में सतत्् मैदानी निरीक्षण, नियमित अधिकारी और कर्मचारियों की बैठक की वजह से संभव हो सका हैं। ऐसा जिलें के उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवायें डॉ.एम.के.शर्मा द्वारा बताया गया।
समाचार क्र.122/2014  

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JANSAMPARK NEWS 30-08-18

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