जिला-जनसंपर्क कार्यालय बुरहानपुर
समाचार
पशुओं में संभावित बीमारी व रोकथाम के लिये करें उपाय
बुरहानपुर (7 सितम्बर ) - अतिवृष्टि वर्षा प्रभावित क्षेत्रों के रहवासी पशु पालक एवं जनता से उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ.एम.के.सक्सेना द्वारा पशुओं में संभावित होने वाली बीमारियों की रोकथाम व इलाज के लिये महत्वपूर्ण जानकारी दी है। जिससे की पशुओं को जानमाल एवं बीमारियों से बचाया जाकर सुरक्षित रखा जा सकता है।
वर्षाकाल में होने वाली संभावित बीामरियाँ जैसे निमोनिया, प्लूरोनिमोनिया, एक टांगिया रोग, गल घोटू, कोराईजा, ब्रोकांइटिस, शरीरी में घाव का सड़ना, कीड़े पड़ना, आफरा, टिम्पेनाईटिस, डायरिया, कास्टीपेसन या कब्जियत, वायरल फीवर, कन्जक्टीवाईटिस, खुजली व चर्म रोग, थनैला रोग, मेस्टाइटिस आदि है।
बचाव के उपाय:- पशुआंे को वर्षाकाल अतिवृष्टि क्षेत्र में रहवासियों को सर्वप्रथम पशुओं को सुरक्षित साफ व सूखी जगहों में रखा जाकर बांधे उनके दाने-पानी के लिये साफ स्वच्छ पानी का उपयोग करें। गंदा पानी, नदी नाले का पानी का उपयोग कतई नहीं किया जावे। जहाँ तक संभव हो हैण्डपम्प का पानी वर्षाकाल के लिये उपयुक्त होता है। पशु आहार भी साफ, स्वच्छ हो तथा फंगस लगा बासी पुराना सड़ा हुआ आहार खिलाया जाना प्रतिबंधित रखें। श्री सक्सेना ने बताया कि दुधारू पशुओं को बीमार पशुओं से अलग रखा जावे तथा उनके रहने खाने-पीने के बर्तन भी अलग हो तथा कुछ दूरी पर हो। दूध दोहने के बर्तन पूर्णतया साफ हों। दूध धोते समय हाथों को भी साबुन से अथवा क्रीम से धोवे, उसके पश्चात् ही दूध का दोहन करें। कन्टेनरों को भी प्रायः दूध के बाद बंद रखें व मख्खी मच्छरों से सर्वथा बचायें।
पशुओं में बीमारी के संकेत:- पशु के लार का टपकना, नांक से पानी गिरना, आँखे सूजना, लाल होना, कीचड़ का आना, शरीर में बालों व रोयें का खड़ा होना, पतले व खूनी दस्त का होना, तेज बुखार आना लड़खड़ाना व चलने में दिक्कत, चारा पानी खाने में कमी, दूध नहीं देना, मुँह पैर में छाले का होना, सांस लेने में तकलीफ, घर्र-घर्र की आवाज का आना, मुँह व पैरों में सूजन आदि पशुओं में बीमारी होने केे संकेत देते है।
बीमारी के संकेत का निदान:- पशु पालक ऐसी स्थिति में तुरंत ही पशु चिकित्सालय अथवा पशु औषधालय में जाकर संपर्क करें, बीमार पशुओं की जाँच एवं उपचार करायें। संभव हो सके तो अपने अन्य पशुओं को टीके भी अवश्य ही लगवायें।
क्र-11/2012/वर्मा
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पशुओं में संभावित बीमारी व रोकथाम के लिये करें उपाय
बुरहानपुर (7 सितम्बर ) - अतिवृष्टि वर्षा प्रभावित क्षेत्रों के रहवासी पशु पालक एवं जनता से उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ.एम.के.सक्सेना द्वारा पशुओं में संभावित होने वाली बीमारियों की रोकथाम व इलाज के लिये महत्वपूर्ण जानकारी दी है। जिससे की पशुओं को जानमाल एवं बीमारियों से बचाया जाकर सुरक्षित रखा जा सकता है।
वर्षाकाल में होने वाली संभावित बीामरियाँ जैसे निमोनिया, प्लूरोनिमोनिया, एक टांगिया रोग, गल घोटू, कोराईजा, ब्रोकांइटिस, शरीरी में घाव का सड़ना, कीड़े पड़ना, आफरा, टिम्पेनाईटिस, डायरिया, कास्टीपेसन या कब्जियत, वायरल फीवर, कन्जक्टीवाईटिस, खुजली व चर्म रोग, थनैला रोग, मेस्टाइटिस आदि है।
बचाव के उपाय:- पशुआंे को वर्षाकाल अतिवृष्टि क्षेत्र में रहवासियों को सर्वप्रथम पशुओं को सुरक्षित साफ व सूखी जगहों में रखा जाकर बांधे उनके दाने-पानी के लिये साफ स्वच्छ पानी का उपयोग करें। गंदा पानी, नदी नाले का पानी का उपयोग कतई नहीं किया जावे। जहाँ तक संभव हो हैण्डपम्प का पानी वर्षाकाल के लिये उपयुक्त होता है। पशु आहार भी साफ, स्वच्छ हो तथा फंगस लगा बासी पुराना सड़ा हुआ आहार खिलाया जाना प्रतिबंधित रखें। श्री सक्सेना ने बताया कि दुधारू पशुओं को बीमार पशुओं से अलग रखा जावे तथा उनके रहने खाने-पीने के बर्तन भी अलग हो तथा कुछ दूरी पर हो। दूध दोहने के बर्तन पूर्णतया साफ हों। दूध धोते समय हाथों को भी साबुन से अथवा क्रीम से धोवे, उसके पश्चात् ही दूध का दोहन करें। कन्टेनरों को भी प्रायः दूध के बाद बंद रखें व मख्खी मच्छरों से सर्वथा बचायें।
पशुओं में बीमारी के संकेत:- पशु के लार का टपकना, नांक से पानी गिरना, आँखे सूजना, लाल होना, कीचड़ का आना, शरीर में बालों व रोयें का खड़ा होना, पतले व खूनी दस्त का होना, तेज बुखार आना लड़खड़ाना व चलने में दिक्कत, चारा पानी खाने में कमी, दूध नहीं देना, मुँह पैर में छाले का होना, सांस लेने में तकलीफ, घर्र-घर्र की आवाज का आना, मुँह व पैरों में सूजन आदि पशुओं में बीमारी होने केे संकेत देते है।
बीमारी के संकेत का निदान:- पशु पालक ऐसी स्थिति में तुरंत ही पशु चिकित्सालय अथवा पशु औषधालय में जाकर संपर्क करें, बीमार पशुओं की जाँच एवं उपचार करायें। संभव हो सके तो अपने अन्य पशुओं को टीके भी अवश्य ही लगवायें।
क्र-11/2012/वर्मा
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