कार्यालय कलेक्टर (जनसंपर्क) जिला - बुरहानपुर
समाचार
कपास में न्यू बिल्ट या पैरा विल्ट एवं जड़ सड़न रोग की समस्या और उसका निदान
बुरहानपुर - ( 09 सितम्बर ) - कृषि कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उपसंचालक श्री मनोहर देवके ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में वर्तमान मंे लगातार बारिश होने से किसान भाईयों के खेतो मंे उचित जल निकास न होने से कपास फसल में न्यू विल्ट या पेरा बिल्ट और जड़ सड़न रोग की समस्या उत्पन्न हो रही है। जिसके कारण कपास की फसल प्रभावित हो रही है । इन रोगो की रोकथाम हेतु निम्नलिखित उपाय किए जा सकते है। जिससे फसल को प्रभावित होने से बचाया जा सकता है।
न्यू विल्ट या पेरा विल्टः- कपास में यह रोग पोषक तत्वांे की असन्तुलित स्थिति में पैदा होता है। इस रोग मंे पौधें मुरझाकर सुख जाते है । एक ही स्थान पर दो पौधांे मंे एक पौधा हरा-भरा (स्वस्थ) दिखाई देता है और दूसरा पौधा मुरझाकर सुखा दिखाई देता है इस रोग की प्रमुख पहचान है । इसके नियत्रण के लिए यूरिया खाद की मात्रा डेढ़ से दो किलो ग्राम यूरिया एवं फफूंद नाषक प्रोपेकोनेजॉल या कार्बनडेझिम दवा 200 एम.एल. को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर कपास के पौधे की जड के आस पास डेढ से दो लीटर (1.5-2 लीटर ) घोल प्रति पौधा डाले। जो कपास के पौधे मुरझा गये है उनमे तत्काल यह घोल डाले।
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कपास में न्यू बिल्ट या पैरा विल्ट एवं जड़ सड़न रोग की समस्या और उसका निदान
बुरहानपुर - ( 09 सितम्बर ) - कृषि कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उपसंचालक श्री मनोहर देवके ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में वर्तमान मंे लगातार बारिश होने से किसान भाईयों के खेतो मंे उचित जल निकास न होने से कपास फसल में न्यू विल्ट या पेरा बिल्ट और जड़ सड़न रोग की समस्या उत्पन्न हो रही है। जिसके कारण कपास की फसल प्रभावित हो रही है । इन रोगो की रोकथाम हेतु निम्नलिखित उपाय किए जा सकते है। जिससे फसल को प्रभावित होने से बचाया जा सकता है।
न्यू विल्ट या पेरा विल्टः- कपास में यह रोग पोषक तत्वांे की असन्तुलित स्थिति में पैदा होता है। इस रोग मंे पौधें मुरझाकर सुख जाते है । एक ही स्थान पर दो पौधांे मंे एक पौधा हरा-भरा (स्वस्थ) दिखाई देता है और दूसरा पौधा मुरझाकर सुखा दिखाई देता है इस रोग की प्रमुख पहचान है । इसके नियत्रण के लिए यूरिया खाद की मात्रा डेढ़ से दो किलो ग्राम यूरिया एवं फफूंद नाषक प्रोपेकोनेजॉल या कार्बनडेझिम दवा 200 एम.एल. को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर कपास के पौधे की जड के आस पास डेढ से दो लीटर (1.5-2 लीटर ) घोल प्रति पौधा डाले। जो कपास के पौधे मुरझा गये है उनमे तत्काल यह घोल डाले।
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