Tuesday, 6 August 2013

A- JANSAMPARK NEWS 6-8-13

जिला जनसंपर्क कार्यालय-बुरहानपुर
समाचार
स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत मीडिया कार्यषाला संपन्न
संचार प्रतिनिधीयों को बताया मां के दूध का महत्व
मां का दूध पहला टीकाकरण- श्री गफ्फार
बुरहानपुर-(6 अगस्त 2013)- विष्व स्तनपान सप्ताह के अतर्गत मंगलवार को नवीन संयुक्त जिला कार्यालय के कलेक्टोरेट सभागार में मीडिया कार्यषाला का आयोजन किया गया। महिला बाल विकास विभाग और सीकोडिकॉन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मीडिया कार्यषाला में जिला अधिकारियों द्वारा मां के दूध के महत्व, अधिकतम षिषु बाल्य आहार के राष्ट्रीय दिषा निर्देष, मां के दूध और अन्य दूध के पोषक तत्वों की तुलनात्मक जानकारी, मां की दूध संरचना में विविधता की जानकारी, संक्रमणों से बचानें की प्रक्रिया और कृत्रिम दूध एवं बोतल से दूध पिलाने के खतरे कि विस्तृत जानकारी संचार प्रतिनिधीयों को दी गई।
    मीडिया कार्यषाला में सीकोडिकॉन संस्था के कार्यक्रम समन्वयक संदीप देवल ने संचार प्रतिनिधीयों को कुपोषण की जानकारी देते हुए उन्होनें कुपोषण के कारण, कुपोषण के परिणाम, कुपोषण के लक्षण और उसके ईलाज व उसके रोकथाम की जानकारी दी। साथ ही उन्होनें कहा कि कुपोषण को रोकने के लिये मां का दूध प्रथम ईकाइ है।
    इसके साथ ही विष्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत संचार प्रतिनिधीयों की कार्यषाला में जनसंपर्क अधिकारी सुनील वर्मा ने जहां पत्रकारों को इस महत्वपूर्ण प्रयास में जहां मीडिया की भूमिका की जानकारी वही जनअभियान परिषद् के जिला संयोजक महेष खराडे़ ने स्तनपान के इस अभियान में स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका बताई।
एक मात्र प्रयास से 2.5 लाख बच्चों को बचाया जा सकता है:- मीडिया कार्यषाला में अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम अधिकारी एकीकृत बाल विकास सेवा अब्दुल गफ्फान खान ने बताया कि मां का दूध ही बच्चंे का पहला टीकाकरण होता है। यदि जन्म के एक घंटे के अंदर 90 प्रतिषत बच्चों को मां का दूध दिया जाता है, तो षिषु मृत्यु दर में 22 प्रतिषत की कमी लायी जा सकती है। इसें हम यूं भी कह सकते हैं कि इस एक मात्र प्रयास से पूरे देष में 2.5 लाख बच्चों को बचाया जा सकता है।
जन्म के तुरन्त बाद मां के दूध की शुरूआत से षिषु मृत्यु (2-28 दिन)  को कम करने का प्रतिषत:-
ऽ    यदि षिषु को मां के दूध के अलावा अन्य कोई दूध दिया जाता है, तो षिषु मृत्यु का खतरा 4 गुना बढ़ जाता है।
ऽ    मां के दूध की शुरूआत एक दिन के बाद कराने से षिषु मृत्यु का खतरा 2.4 गुना बढ़ जाता है।
अधिकतम षिषु बाल्य आहार
राष्ट्रीय दिषा-निर्देष
ऽ    जन्म के एक घंटे के अन्दर माँ के दूध की शुरूआत
ऽ    जन्म से लेकर 6 माह तक (180 दिन) केवल माँ का दूध
ऽ    7 वें महीने से ऊपरी आहार की शुरूआत
ऽ    दो साल तक माँ का दूध निरन्तर देना
मां के दूध के फायदे:- मां के दूध के फायदे गिनाते हुए श्री खान ने बताया कि मां का दूध-
ऽ    पूर्ण पोषक तत्व
ऽ    पचाने में आसान
ऽ    हर समय तैयार
ऽ    रोगों और संक्रमणों से बचाता है
ऽ    वयस्क उम्र में होने वाली बीमारियों से बचाता है (डायबिटीज, उच्च रक्तचाप)


ऽ    माँ और बच्चे में भावनात्मक संबंध बढ़ाता हैं।
ऽ    पर्याप्त वृद्धि और विकास में मदद करता है।
ऽ    मस्तिष्क और दृष्टि के विकास को बढ़ाता है।
ऽ    बच्चे का अधिकतम आई क्यू होता है।
ऽ    हाईपोथर्मियां से बचाता है।

ऽ    प्रसव पष्चात् रक्त स्त्राव और एनीमिया को कम करता है
ऽ    अगले गर्भधारण को रोकता है
ऽ    स्तन और ओवरी के कैंसर से बचाता है
ऽ    मोटापा कम करता है और शरीर को सुडौल बनाता है
ऽ    सुविधाजनक
कृत्रिम दूध एवं बोतल से दूध पिलाने के खतरे:- इसके साथ ही मीडिया कार्यषाला में श्री खान ने बच्चें को और मां को कृत्रिम दूध एवं बोतल से दूध पिलाने से दुष्प्रभाव की जानकारी देते हुए बताया कि ऐसा करने से बच्चें को -
ऽ    बार-बार दस्त लगना, श्वसन एवं अन्य संक्रमित रोग
ऽ    बार-बार बनाने की जरूरत होती है
ऽ    पचाने में आसान नहीं
ऽ    संतुलित पोषक तत्वों की कमी
ऽ    प्रायः संक्रमण एवं कुपोषण से मृत्यु का खतरा
ऽ    कुछ खतरनाक बीमारियां होने का खतरा
ऽ    भावनात्मक संबंध में बाधा
ऽ    अधिक वजन के बच्चे
बुद्धिमत्ता परीक्षा में कम नम्बर लाना

वही मां को भी एनीमिया, आस्टियोपोरोसिस, ओवरी एवं स्तनपान कैंसर का खतरा बढ़ना
जल्दी गर्भधारण की सम्भावना बढ़ जाती है।
जिले में 72.2 प्रतिषत होते है संस्थागत प्रसवः- विष्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत आयोजित पत्रकार कार्यषाला में इससे जुडे़ आकड़ों की विषेलषणात्मक जानकारी देते हुए कार्यक्रम अधिकारी एकीकृत बाल विकास सेवा श्री खान ने बताया कि जिले में 72.2 प्रतिषत संस्थागत प्रसव होते है, वही 24.8 प्रतिषत प्रसव घरों पर होते है। जन्म के तुरंत बाद केलोस्ट्रम (पीला गाढ़ा दूध) पिलाने वाली माताओं का प्रतिषत 94.6 है, वही नही पिलाने वाली माताओं का प्रतिषत 5.4 है। जिनमें से 2.3 प्रतिषत माताएं परिवार के वरिष्ठ सदस्यों की सलाह पर, 0.8 प्रतिषत माताएं यह मानते हुए कि बच्चां दूध नही पि पा रहा है एवं 0.8 प्रतिषत यह मानते हुए कि यह पाचन में कठिनाई उत्पन्न करता है। 0.8 प्रतिषत माताओं का मानना है कि यह बच्चों के लिये स्वास्थ्यवर्धक नही है। 0.8 प्रतिषत माताएं किन्ही अन्य कारणों से केलोस्ट्रम अपने बच्चों को नही पिलाती है।
    जिले में जन्म के पश्चात स्तनपान कराने वाली माताओं का प्रतिषत 84.5 है। वही स्तनपान के पूर्व अन्य पदार्थो का सेवन कराने वाली माताओं का प्रतिषत 15.5 है। जिनमें से 3.9 प्रतिषत माताएं शहद चटाती है। 4.7 प्रतिषत माताएं अन्य प्रकार का दूध का सेवन कराती है। 0.8 प्रतिषत माताएं सादा पानी तथा 6.2 प्रतिषत माताएं अन्य पदार्थो का सेवन कराती है।
जन्म के तुरंत बाद स्तनपान के अंतर्गत 42.6 प्रतिषत माताएं जन्म के 1 घंटे के भीतर, 39.5 प्रतिषत माताएं, 1 से 3 घंटे के भीतर 9.3 प्रतिषत माताएं, 4 से 11 घंटे के भीतर 1.6 प्रतिषत माताएं, 11 से 23 घंटे के भीतर 3.1 प्रतिषत माताएं, 24 से 35 घंटे के भीतर, 3.1 प्रतिषत माताएं, 36 से 48 घंटे के भीतर एवं 0.8 प्रतिषत माताएं जन्म के 48 घंटे के बाद षिषु को स्तनपान कराती है।
टीपः- फोटोग्राफ संलग्न
क्र-22/2013/736/वर्मा

अब प्रतिभावान निःशक्तजन बच्चों को मिलेंगे लेपटाप
मुख्यमंत्री निःशक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना
बुरहानपुर (6 अगस्त 2013)- राज्य शासन द्वारा निःशक्त विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री निःशक्त योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना का मुख्य उददेश्य निःशक्त विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है तथा ऐसे निःशक्त विद्यार्थी जो दोनों पैरों से चलने में सक्षम नहीं है, उनकी पहुंच शैक्षणिक संस्थाओं तक बाधा रहित तथा सुगम बनाना है। साथ ही इस योजना के अंतर्गत दृष्टिबाधित एवं श्रवणबाधित विद्यार्थियों को अध्ययन हेतु सहायक उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
    इस योजना का लाभ लेने के लिए निःशक्त विद्यार्थियों को सामाजिक न्याय विभाग के अंतर्गत स्पर्श पोर्टल पर बेवसाईट
www.sprarsh.mp.gov.in पर ऑन लाईन आवेदन करना होगा जिसका निर्धारित प्रारूप आवेदन पत्र बेवसाईट पर उपलब्ध है। आवेदन पत्र में समग्र कोड और स्कूल/महाविद्यालय का कोड अंकित करना अनिवार्य है। इस योजना के अंतर्गत निःशक्तजनों को नियमानुसार लेपटॉप, मोट्रेट ट्रायसिकल एवं अन्य सहायक उपकरण वितरित किए जाएंगे। 
    इस योजना का लाभ लेने के लिए निःशक्त आवेदक या विद्यार्थी को मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना आवश्यक है तथा अस्थिबाधित श्रेणी के विद्यार्थी द्वारा गत परीक्षा में 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए गए हों तथा अन्य श्रेणी के निःशक्तजनों ने 50 प्रतिशत अंक प्राप्त कर शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल, महाविद्यालय अथवा पोलीटेक्निक हेतु नियमित विद्यार्थी के रूप में प्रवेश लिया हो। साथ ही आवेदक के पास चिकित्सकों द्वारा जारी प्रमाण-पत्र होना भी अनिवार्य है।
क्र-23/2013/737/वर्मा


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JANSAMPARK NEWS 30-08-18

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