कृषि विभाग एवं आत्मा द्वारा किसानो के लिये सामायिक सलाह
बुरहानपुर (23 अगस्त 2013)- किसान कल्याण तथा कृषि विकास (आत्मा) जिला बुरहानपुर के द्वारा जिले के किसान भाईयों को सलाह दी गई है। कि सोयाबीन पर इस समय फलियां बनना आरम्भ हो गई ह,ै और कही-कही पर जल्द पकने वाली किस्में जैसे:- जे.एस. 95-60 में दाने भरने लग गये है, और इस समय तम्बाकू कि इल्ली, फली छेदक इल्लीयों का प्रकोप बढ़ने की सम्भावना रहती है।
जिसकी अधिक जानकारी देते हुए विषय वस्तु विशेषज्ञ आत्मा विभाग विशाल पाटीदार ने बताया कि सफेद मक्खी का भी प्रकोप बढ़ता है। जिसके कारण पीला मोजेक रोग फैलता है, और सोयाबीन के रोग जैसे मायरोथिशियम पत्ती धब्बा, टारगेट पत्ती धब्बा, फ्रोग आई पत्ती धब्बा जैसी बीमारीयों का प्रकोप होने लगता हैं। श्री पाटीदार के अनुसार किट एवं बीमारीयों का नियन्त्रण करना बहुत जरूरी है अन्यथा उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिये किटो की रोकथाम के लिये इन्डोक्साकार्ब 14.5 एस.सी. 15 एम.एल. या प्रोफेनोफॉस$सायपरमेथ्रीन 30 एम.एल. या क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल (कोराजॅन/वेस्टिकोर) 6 एम.एल., और सफेद मक्खी के नियन्त्रण के लिये इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 8 एम.एल. प्रति पम्प की दर से कोई एक दवा का स्प्रे करें।
बिमारीयों की रोकथाम के लिये कॉर्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यु. पी. 30 ग्राम या थायोफिनेट मिथाईल 70 डब्ल्यु. पी. 15 ग्राम या पायराक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्ल्यु. जी. 20 ग्राम प्रति पम्प की दर से कोई एक दवा का स्प्रे करें। वर्तमान में सोयाबीन पर प्रति वर्ष बिमारीयों का प्रकोप बढता जा रहा है । इसी कारण सोयाबीन का समय से पहले जीवन चक्र खत्म हो जाता है और सोयबीन की फसल पकी हुई लगती है, वास्तवीकता में यह पत्तीयों के धब्बे वाले रोगो के प्रकोप बढने के कारण सारी पत्तीयां सूख कर झड़ जाती है अतः कृषक भाईयों केवल कीट नियन्त्रण के साथ रोग नियन्त्रण भी करें और सोयाबीन की सही उपज लें।
बुरहानपुर (23 अगस्त 2013)- किसान कल्याण तथा कृषि विकास (आत्मा) जिला बुरहानपुर के द्वारा जिले के किसान भाईयों को सलाह दी गई है। कि सोयाबीन पर इस समय फलियां बनना आरम्भ हो गई ह,ै और कही-कही पर जल्द पकने वाली किस्में जैसे:- जे.एस. 95-60 में दाने भरने लग गये है, और इस समय तम्बाकू कि इल्ली, फली छेदक इल्लीयों का प्रकोप बढ़ने की सम्भावना रहती है।
जिसकी अधिक जानकारी देते हुए विषय वस्तु विशेषज्ञ आत्मा विभाग विशाल पाटीदार ने बताया कि सफेद मक्खी का भी प्रकोप बढ़ता है। जिसके कारण पीला मोजेक रोग फैलता है, और सोयाबीन के रोग जैसे मायरोथिशियम पत्ती धब्बा, टारगेट पत्ती धब्बा, फ्रोग आई पत्ती धब्बा जैसी बीमारीयों का प्रकोप होने लगता हैं। श्री पाटीदार के अनुसार किट एवं बीमारीयों का नियन्त्रण करना बहुत जरूरी है अन्यथा उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिये किटो की रोकथाम के लिये इन्डोक्साकार्ब 14.5 एस.सी. 15 एम.एल. या प्रोफेनोफॉस$सायपरमेथ्रीन 30 एम.एल. या क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल (कोराजॅन/वेस्टिकोर) 6 एम.एल., और सफेद मक्खी के नियन्त्रण के लिये इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 8 एम.एल. प्रति पम्प की दर से कोई एक दवा का स्प्रे करें।
बिमारीयों की रोकथाम के लिये कॉर्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यु. पी. 30 ग्राम या थायोफिनेट मिथाईल 70 डब्ल्यु. पी. 15 ग्राम या पायराक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्ल्यु. जी. 20 ग्राम प्रति पम्प की दर से कोई एक दवा का स्प्रे करें। वर्तमान में सोयाबीन पर प्रति वर्ष बिमारीयों का प्रकोप बढता जा रहा है । इसी कारण सोयाबीन का समय से पहले जीवन चक्र खत्म हो जाता है और सोयबीन की फसल पकी हुई लगती है, वास्तवीकता में यह पत्तीयों के धब्बे वाले रोगो के प्रकोप बढने के कारण सारी पत्तीयां सूख कर झड़ जाती है अतः कृषक भाईयों केवल कीट नियन्त्रण के साथ रोग नियन्त्रण भी करें और सोयाबीन की सही उपज लें।
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