जिला जनसंपर्क कार्यालय-बुरहानपुर
समाचार
स्पर्श अभियान 2013
नेपानगर में आयोजित मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण शिविर में 158 का हुआ पंजीयन
101 मनोरोगियों का मेडिकल बोर्ड ने किया परीक्षण
12 मानसिक अस्वस्थ्य को मनोचिकित्सक श्री त्रिपाठी ने इंदौर किया रैफर
बुरहानपुर-(
20 सितम्बर 2013 ) - जिले में स्पर्श अभियान के अंतर्गत समाज के पिड़ीत एवं
उपेक्षित निःशक्त व्यक्तियों के जीवन में आशा की किरण जगाने एवं उनके
उत्थान में सहयोगी बनने के उद्देश्य से जिला प्रशासन द्वारा मानसिक
स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। जिस कड़ी में आज
शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नेपानगर में चौथा और अंतिम मानसिक
स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित हुआ। प्रातः 10.30 बजे से लेकर शाम 5 बजे
तक चले परीक्षण शिविर में 158 मनोरोगियों ने अपना पंजीयन कराया। जिसमें
शहरी क्षेत्र के 105 और बुरहानपुर जनपद पंचायत की इस शिविर के लिये चिन्हित
ग्राम पंचायतों के 10 और खकनार जनपद पंचायत के ग्राम पंचायतों के 43 लोगों
का पंजीयन हुआ। समाचार
स्पर्श अभियान 2013
नेपानगर में आयोजित मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण शिविर में 158 का हुआ पंजीयन
101 मनोरोगियों का मेडिकल बोर्ड ने किया परीक्षण
12 मानसिक अस्वस्थ्य को मनोचिकित्सक श्री त्रिपाठी ने इंदौर किया रैफर
जिस पर इंदौर से आये मनोचिकित्सक डॉ. संजीव त्रिपाठी की अध्यक्षता में 101 मानसिक रोगियों का आडिज्म (स्वपरायण्ता), सेरीब्रल पाल्सी, (प्रमस्तिक घात) मानसिकता मंदता (मेंटल रिर्टाडेसन) और बहुविकलांग व्यक्तियों का परीक्षण किया गया। जिसमें से मनोचिकित्सक श्री त्रिपाठी ने 12 मानसिक अस्वस्थ्य मरीजों को परीक्षण उपरांत मनोचिकित्सालय इंदौर के लिये रैफर भी किया। इस अवसर पर जिला चिकित्सालय बुरहानपुर के फिज्यिोथेरिपिस्ट श्री जितेन्द्र शुक्ला ने भी रोगियों का परीक्षण किया।
मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण शिविर के अंतर्गत सामाजिक न्याय विभाग द्वारा विशेष काउंटर लगाकर 160 हितग्राहियों के निरामय योजना के आवेदन पत्र भी भरवाये गये।
इसके साथ ही सामाजिक न्याय विभाग द्वारा आयोजित मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण शिविर में 150 मनोरोगियों की एकल एवं उनके पालको के साथ निःशुल्क संयुक्त रूप से फोटोग्राफी कराकर 4-4 के सेट में उन्हें उपलब्ध कराई गई।
नेपानगर विधायक श्री राजेन्द्र दादू और नगर पालिका परिषद् की अध्यक्षत श्रीमती मधु चौहान ने भी शिविर का निरीक्षण किया, और अच्छे प्रबंधन की सराहना भी की।
शिविर में प्रभारी उपसंचालक सामाजिक न्याय विजय पचौरी, सीएमओ नेपानगर श्री सिकरवार समेत अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
क्र-83/2013/919/वर्मा
परख वीडियो कान्फ्रेंस 26 सितम्बर को
बुरहानपुर
(20 सितम्बर 2013)- वीडियो कान्फ्रेंस 26 सितम्बर को सुबह 11 बजे से होगी।
मुख्य सचिव श्री आर. परशुराम वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा लोक कल्याण
शिविर, मध्यान्ह भोजन, अत्याचार निवारण अधिनियम के राहत प्रकरणों,
त्यौहारों पर विद्युत प्रदाय, सड़कों की मरम्मत, फसलों की कटाई, रबी बोनी की
तैयारी और आगामी त्यौहारों पर कानून व्यवस्था के संबंध में चर्चा करेंगे।क्र-84/2013/920/वर्मा
विपत्तिग्रस्त और पीड़ित महिलाओं के आर्थिक-सामाजिक विकास के लिये मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना लागू
बुरहानपुर
(20 सितम्बर 2013)- राज्य सरकार ने विपत्तिग्रस्त, पीड़ित, कठिन
परिस्थितियों में निवास कर रही महिलाओं को समाज में पुनर्स्थापित करने तथा
आत्म-निर्भर बनाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना को
लागू किया है। ऐसी महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिये उन्हें कौशल उन्नयन
प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा, जो भविष्य में स्वयं के अलावा अपने
परिवार का भी भरण-पोषण कर सकेंगी। जिसकी अधिक जानकारी देते हुए जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी अब्दुल गफ्फार खान ने बताया कि महिलाओं के आर्थिक-सामाजिक उन्नयन के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना में स्थाई प्रशिक्षण द्वारा उन्हें रोजगार भी प्राप्त होगा।
विपत्तिग्रस्त महिलाओं को प्रशिक्षण ऐसी संस्थाओं के माध्यम से मिलेगा, जिनकी डिग्री/प्रमाण-पत्र शासकीय अथवा अशासकीय सेवाओं में मान्य हो। प्रशिक्षण पर होने वाला पूरा खर्च महिला सशक्तिकरण संचालनालय द्वारा वहन किया जायेगा। पात्र महिलाओं का चयन जिला-स्तर पर गठित समिति करेगी। राज्य शासन ने योजना के लिये लक्ष्य समूह निर्धारित किये हैं। इन समूह में ऐसी विपत्तिग्रस्त महिलाएँ, जिनके परिवार में कोई न हो, बलात्कार से पीड़ित महिला या बालिका, दुर्व्यापार से बचाई गईं महिलाएँ, ऐसिड विक्टिम/दहेज प्रताड़ित/अग्नि पीड़ित, कुवाँरी माताएँ या सामाजिक कु-प्रथा की शिकार महिलाएँ, परित्यक्ता/तलाकशुदा महिलाएँ, आश्रय/बालिका/अनुरक्षण गृह में रहने वाली बालिकाएँ अथवा महिलाएँ शामिल होंगी।
योजना का लाभ उठाने के लिये पात्रता भी निर्धारित की गई है। हितग्राही पीड़ित की श्रेणी में आती हो, आवेदिका/उसके परिवार का मुखिया आयकर-दाता न हो, जीवन-यापन के पर्याप्त साधन न हों, मानसिक रूप से विक्षिप्त न हो, सामान्य वर्ग की महिला की उम्र 43 वर्ष से कम न हो, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा, एससीएसटी, पिछड़ा वर्ग का होने की स्थिति में 48 वर्ष की आयु हो, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अनुसार न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता हो तथा कम पढ़ी-लिखी/साक्षर/अनपढ़ महिलाओं के लिये योग्यता अनुसार प्रशिक्षण दिया जायेगा। ऐसी महिलाओं का चयन प्रत्येक वर्ष एक जनवरी से 31 जनवरी के मध्य समाचार-पत्रों में विज्ञापन देकर किया जायेगा।
पात्र महिलाओं द्वारा अपने आवेदन जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी को देना होंगे अथवा संचालनालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। महिलाओं को प्रशिक्षण शासन द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाओं के माध्यम से मिलेगा। प्रशिक्षण संस्थाओं का दायित्व होगा कि वे इन महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवायें। जिन विषयों में महिलाओं को प्रशिक्षण मिलेगा, उनमें फार्मेसी, नर्सिंग, फिजियोथेरेपी, ब्यूटीशियन, कम्प्यूटर डिप्लोमा/शॉर्ट हेण्ड, टाइपिंग, शॉर्ट टर्म मैनेजमेंट कोर्स, डी.एड./बी.एड., आईटीआई पाठ्यक्रम, हॉस्पिटेलिटी, बैंकिंग, होटल/ईवेंट मैनेजमेंट, प्रयोगशाला सहायक आदि होंगे।
राज्य, संभाग एवं जिला-स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मूल्यांकन होगा। जिला-स्तर पर हितग्राही की केस फाइल तैयार होगी, जिसमें उसका पूर्ण विवरण होगा। साथ ही तब तक फॉलोअप किया जायेगा, जब तक उसे रोजगार नहीं मिलेगा। जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी प्रत्येक हितग्राही की जानकारी वेबसाइट पर प्रतिमाह अपलोड करेगा। संभागीय संयुक्त संचालक/उप संचालक योजना की मासिक समीक्षा/निगरानी कर उसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजेंगे। राज्य-स्तर पर योजना का संचालन भोपाल स्थित महिला संसाधन केन्द्र भवन द्वारा किया जायेगा।
क्र-85/2013/921/वर्मा
टंट्या भील स्व-रोजगार योजना से 5000 आदिवासियों को मिलेगा रोजगार
स्व-रोजगार योजना में किये गये संशोधन
बुरहानपुर
(20 सितम्बर 2013)- राज्य सरकार द्वारा टंट्या भील स्व-रोजगार योजना से इस
वर्ष 5000 आदिवासियों को रोजगार दिलाया जायेगा। योजना के नियमों में कुछ
संशोधन भी किये गये हैं। इस योजना के हितग्राहियों को इकाई लागत का 30
प्रतिशत अनुदान अधिकतम 3 लाख रुपये एवं 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान की सुविधा
भी दी जायेगी। योजना में आय सीमा का कोई बंधन नहीं रखा गया है। स्व-रोजगार योजना में किये गये संशोधन
संशोधन के अनुसार 50 हजार रुपये तक की योजना के लिये कक्षा 5 उत्तीर्ण एवं 50 हजार रुपये से अधिक के प्रकरणों में कक्षा 10 उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया है। पारंपरिक शिल्पियों एवं व्यवसाइयों के लिये शैक्षणिक योग्यता के बंधन को शिथिल किया गया है। योजना में आवेदक किसी भी बैंक का चूककर्त्ता नहीं है इसके लिये उसे नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ-पत्र देना होगा। 50 हजार से 5 लाख तक की परियोजना वाले आवेदन-पत्रों के साथ कोटेशन एवं विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन संलग्न करने की बाध्यता को भी समाप्त किया गया है।
प्राप्त आवेदन-पत्र सहायक आयुक्त अथवा जिला संयोजक आदिम-जाति कल्याण की अध्यक्षता में गठित समिति के समक्ष प्रस्तुत होंगे। प्रकरणों की समीक्षा के लिये कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला-स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति में सी.ई.ओ. जिला पंचायत, लीड बैंक ऑफीसर, राष्ट्रीयकृत बैंकों के समन्वयक, जिला महिला-बाल विकास अधिकारी को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
परियोजना लागत पर अनुदान, ब्याज अनुदान राशि, जिलों में स्थित आदिम-जाति कल्याण विभाग द्वारा बैंक को उपलब्ध करवायी जायेगी। योजना में प्रकरण तैयार करवाने एवं बैंकों द्वारा स्वीकृति के संबंध में भोपाल में एक कार्यशाला भी की जा चुकी है। कार्यशाला में विभाग के जिला अधिकारी एवं बैंकों के प्रतिनिधियों को योजना के नियमों एवं दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी दी गई।
क्र-86/2013/922/वर्मा
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