लू (तापघात ) से बचाव व उपचार के लिये सी.एम.एच.ओ. ने दिये निर्देश
बुरहानपुर -(21 मई 2013)- जिलें मे बढ़ते हुये तापमान एवं समय-समय पर बदलते मौसम को देखते हुये सी.एम.एण्ड एच.ओ. डॉ. आई.एल.मेहरा ने स्वास्थ्य संस्थाओ के चिकित्सको एवं मैदानी कार्यकर्ताओ को निर्देश जारी किये है। जिसमें अत्यधिक गर्मी मंे लू (तापघात) की स्ंाभावना बढ़ जाती है। यह जानलेवा न हो इसलिये सभी को हिदायत दी गई कि वह आम जन को समझाईश देकर गर्मी से बचाव करें ।
लू से बचाव तथा इसके प्राथमिक उपचार के लिये निम्नलिखित सावधानिया बरते-
ऽ गर्मी के दिनो मे धूप मे बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढिले कपड़ों का उपयोग करे बिना भोजन किये बाहर न निकले । भोजन करके एवं पानी पी कर ही बाहर निकले ।
ऽ गर्मी के मौसम मे गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर को गमछे या तौलिये से ढंक कर ही धूप मे निकले ।
ऽ रंगीन चश्मंे एवं छतरी का प्रयोग करें ।
ऽ गर्मी मे हमेशा पानी अधिक मात्रा मे पिये एवं पेय पदार्थो जैसे निंबू पानी ,नारियल पानी ज्यूस आदि का प्रयोग करें ।
ऽ जहां तक संभव हो धूप मंे न निकले ,धूप में शरीर का हिस्से पूर्ण तरह से ढका हो।
ऽ बहूत अधिक भीड गर्म घूटन भरे कमरो से बचे, रेल बस आदि का यात्रा अत्यावश्यक होने पर ही करें ।
यदि कोई व्यक्ति लू लू (तापघात ) से प्रभावित होता है तो उसका तत्काल से प्राथमिक उपचार किया जाये।
ऽ रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपडे ढिले कर लेटा दिया जावे एवं हवा करे ।
ऽ रोगी को होष मे आने की दषा मे उसे ठंडे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पना ले। प्यास का रस अथवा जौ के आटे को भी ताप नियंत्रण हेतु मला जा सकता है ।
ऽ रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिये यदि संभव हो तो उसे ठंडे पानी से नहलाये या उसके शरीर पर ठंडे पानी की पट्टीया रखकर पूरे शरीर को ढंक दे। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराये जब तक की शरीर का ताप कम नही हो जाता है ।
डॉ. मेहरा ने बताया कि यदि उक्त सावधानी के पश्चात भी मरीज ठीक नही होता है तो उसे तत्काल निकट की चिकित्सा संस्था मे रेफर किया जाये।
एपिडिमीयोलॉजिस्ट रविन्द्र सिंह राजपूत ने बताया की सभी आशा एवं ए.एन.एम. को लू (तापघात ) के प्रकरणों की सूचना दैनिक रूप से देने हेतु आई.डी.एस.पी. के रिपोटिंग फॉर्मेट मे भी जानकारी देना है ताकि आउटब्रेक या महामारी की स्थिति से तत्काल निपटा जा सके ।
बुरहानपुर -(21 मई 2013)- जिलें मे बढ़ते हुये तापमान एवं समय-समय पर बदलते मौसम को देखते हुये सी.एम.एण्ड एच.ओ. डॉ. आई.एल.मेहरा ने स्वास्थ्य संस्थाओ के चिकित्सको एवं मैदानी कार्यकर्ताओ को निर्देश जारी किये है। जिसमें अत्यधिक गर्मी मंे लू (तापघात) की स्ंाभावना बढ़ जाती है। यह जानलेवा न हो इसलिये सभी को हिदायत दी गई कि वह आम जन को समझाईश देकर गर्मी से बचाव करें ।
लू से बचाव तथा इसके प्राथमिक उपचार के लिये निम्नलिखित सावधानिया बरते-
ऽ गर्मी के दिनो मे धूप मे बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढिले कपड़ों का उपयोग करे बिना भोजन किये बाहर न निकले । भोजन करके एवं पानी पी कर ही बाहर निकले ।
ऽ गर्मी के मौसम मे गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर को गमछे या तौलिये से ढंक कर ही धूप मे निकले ।
ऽ रंगीन चश्मंे एवं छतरी का प्रयोग करें ।
ऽ गर्मी मे हमेशा पानी अधिक मात्रा मे पिये एवं पेय पदार्थो जैसे निंबू पानी ,नारियल पानी ज्यूस आदि का प्रयोग करें ।
ऽ जहां तक संभव हो धूप मंे न निकले ,धूप में शरीर का हिस्से पूर्ण तरह से ढका हो।
ऽ बहूत अधिक भीड गर्म घूटन भरे कमरो से बचे, रेल बस आदि का यात्रा अत्यावश्यक होने पर ही करें ।
यदि कोई व्यक्ति लू लू (तापघात ) से प्रभावित होता है तो उसका तत्काल से प्राथमिक उपचार किया जाये।
ऽ रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपडे ढिले कर लेटा दिया जावे एवं हवा करे ।
ऽ रोगी को होष मे आने की दषा मे उसे ठंडे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पना ले। प्यास का रस अथवा जौ के आटे को भी ताप नियंत्रण हेतु मला जा सकता है ।
ऽ रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिये यदि संभव हो तो उसे ठंडे पानी से नहलाये या उसके शरीर पर ठंडे पानी की पट्टीया रखकर पूरे शरीर को ढंक दे। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराये जब तक की शरीर का ताप कम नही हो जाता है ।
डॉ. मेहरा ने बताया कि यदि उक्त सावधानी के पश्चात भी मरीज ठीक नही होता है तो उसे तत्काल निकट की चिकित्सा संस्था मे रेफर किया जाये।
एपिडिमीयोलॉजिस्ट रविन्द्र सिंह राजपूत ने बताया की सभी आशा एवं ए.एन.एम. को लू (तापघात ) के प्रकरणों की सूचना दैनिक रूप से देने हेतु आई.डी.एस.पी. के रिपोटिंग फॉर्मेट मे भी जानकारी देना है ताकि आउटब्रेक या महामारी की स्थिति से तत्काल निपटा जा सके ।
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