जिला जनसंपर्क कार्यालय-बुरहानपुर
समाचार
दापोरा, चापोरा, अड़गांव और धामनगांव का स्कूल शिक्षामंत्री ने किया दौरा
तूफान से हुए नुकसान का लिया जायजा
साथ ही किसान की उपस्थिती में सर्वे कर पंचनामा बनाने के दिये निर्देश
कहा फसल बीमा योजना को लेकर कृषि मंत्री से करेंगी बात
बुरहानपुर -(29 मई 2013)- मंगलवार को जिले के शाहपुर क्षेत्र में आये चक्रवात से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिये आज प्रदेश की स्कूल शिक्षामंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने ग्राम चापोरा, दापोरा, अड़गांव और धामनगांव का सघन दौरा किया। इस दौरान वह तूफान से क्षतिग्रस्त हुए खेतों पर पहुंची, और किसानों से बातचीत कर हुए नुकसान की जानकारी ली। दौरे के दौरान कलेक्टर श्री आशुतोष अवस्थी और सीईओ जिला पंचायत श्री सुरेश्वरसिंह उपस्थित थे।
शालेय शिक्षामंत्री श्रीमती चिटनीस ने खेतो का निरीक्षण करने के बाद कहा कि गत दिवस आये चक्रवात के कारण चापोरा, दापोरा क्षेत्र में तकरीबन 20 से 25 करोड़ रूपये की केला फसल का नुकसान हुआ है। जिससे खेती किसानी से जुड़ा किसान बेहद परेशान है।
किसान की उपस्थिती में सर्वे करने के दिये निर्देश:- स्कूल शिक्षामंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने दौरे के दौरान संबंधित अधिकारियो को पिडीत किसान की उपस्थिती में सर्वे करने और पंचनामा बनाने के निर्देश दिये। साथ ही उन्होनें आदेश देते हुए कहा कि कृषकों को सर्वे में चक्रवात से खराब हुई फसलों का मुआवजा आर.बी.सी. धारा 6 (4) के प्रावधानों के अंतर्गत अधिक से अधिक दिया जाये।
फसल बीमा योजना पर कृषि मंत्री से करेगें मुलाकात:- दौरे के दौरान चक्रवात के कारण नष्ट हुई केला फसल का निरीक्षण करते हुए स्कूल शिक्षामंत्री श्रीमती चिटनीस ने जिले के किसानों के दल के साथ आगामी जून माह के प्रथम सप्ताह में भोपाल में फसल बीमा योजना पर प्रदेश के कृषि मंत्री और प्रमुख सचिव कृषि विभाग से मुलाकात कर विचार विमर्श करने की बात कही।
रेशम की फसल लगाने की दी सलाहः- शालेय शिक्षामंत्री श्रीमती चिटनीस ने निरीक्षण के दौरान ग्राम दापोरा में क्षेत्र के किसानों को रेशम की फसल लगाने की नसीहत भी दी। उन्होनें कहा कि रेशम की फसल में भी आमदानी अच्छी होती है, और उसमें प्राकृतिक प्रकोप से नुकसान भी कम मात्रा में होता है। रेशम उत्पादन की अधिक जानकारी देते हुए उन्होनें बताया कि रेशम परियोजना के अंतर्गत कृषकों को 1 लाख 35 हजार रूपये की सब्सिीडी देने के साथ ही 5 साल तक रेशम खरीदने का करार भी रेशम विभाग द्वारा किया जाता है।
सर्वे के लिये गठित किये 5 दल:- मंगलवार को आये तूफान के कारण हुए फसलों के नुकसान के आकलन के लिये सर्वे का कार्य प्रारंभ हो चुका है। जिसकी जानकारी देते हुए कलेक्टर श्री आशुतोष अवस्थी ने बताया कि सर्वे कार्य के लिये 5 दलों का गठन किया गया है। जिसमें कृषि, उद्यानिकी एवं राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारी शामिल है। पिड़ीत किसानों को आरबीसी की धारा 6 (4) के प्रावधानों के तहत मुआवजा वितरीत किया जायेगा।
इसके साथ ही स्कूल शिक्षामंत्री ग्राम चापोरा में तूफान के कारण पेड़ गिरने से क्षतिग्रस्त हुए ज्ञानेश्वर सिरसाम व आशाबाई कृष्णा के घर भी पहुंची व प्रावधान अनुसार मुआवजा राशि देने के निर्देश अधिकारियों को दिये।
दौरे में नगर पंचायत परिषद् शाहपुर के अध्यक्ष रामभाउ सोनवणे, चापोरा सरपंच संतोष चांदेलकर, बंभाड़ा सरपंच सुनील बारी, एसडीएम श्री सूरज नागर, उपसंचालक कृषि एम.एस.देवके, सहायक संचालक उद्यानिकी श्री तोमर और जिला शिक्षा अधिकारी आर.एल.उपाध्याय समेत अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारी एवं जनप्रतिनिधीगण उपस्थित थे।
-ःमुख्यमंत्री से झिरन्या में मिलेगें बुरहानपुर के प्रभावित किसान:-
मंगलवार को जिले के शाहपुर क्षेत्र में आये चक्रवात से ग्राम चापोरा, दापोरा, अड़गांव और धामनगांव में हुए केले की फसल की तबाही को लेकर प्रभावित किसानों का एक दल भी बुधवार को स्कूल शिक्षामंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस के नेतृत्व में झिरन्या रवाना हुआ। जहां पहुंचकर यह दल मुख्यमंत्री महोदय से मिलकर अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत करायेगा। उल्लेखनीय है कि आज प्रदेश के मुखिया श्री शिवराजसिंह चौहान झिरन्या में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत आयोजित होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलन में शामिल होने आ रहे है।
ग्रामीण बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम के अंतर्गत 62 हितग्राहियों को चूजे किये वितरीत
बुरहानपुर -(29 मई 2013)- पशु चिकित्सा विभाग द्वारा केन्द्र प्रवर्तित ग्रामीण बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम योजना के अंतर्गत बुधवार को प्रथम चरण में 3 ग्राम पंचायतो में 62 हितग्राहियों को चूजे का वितरण किया गया । जिसकी अधिक जानकारी देते हुए उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवा श्री एम.के.सक्सेना ने बताया कि आज मालवीर के 32 हितग्राहियों को, शाहपुर के 18 और ईच्छापुर के 12 हितग्राहियों को योजना के अंतर्गत प्रथम चरण में 20 चूजे वितरीत किये गये।
द्वितीय चरण में 15 चूजे और तृतीय चरण में 10 चूजे दिये जायेगें:- हितग्राहियों को योजना की और अधिक जानकारी देते हुए श्री सक्सेना ने बताया कि ग्रामीण बैकयार्ड पोल्ट्री स्कीम योजना के अंतर्गत प्रथम चरण में 20, द्वितीय चरण में 15 और तृतीय चरण में 10 चूजे पालन हेतु दिये जायेगें। साथ ही विभाग द्वारा आपकों पिंजरा बनाने के लिये 750 रूपये की राशि भी दी जायेगी।
दी सलाह:- योजना के अंतर्गत चूजांे का वितरण करते हुए श्री सक्सेना ने लाभान्वित हितग्राहियों को चूजो का अच्छे से पालने, उन्हें अच्छा खिलाने, पिलाने और साफ-सफाई रखने की सलाह दी। उन्होनें कहा कि यदि आप इनका बेहतर तरीके से ध्यान रखेगें, तो आपको अंडे प्राप्त होगें। जिन्हें बाजार में विक्रय कर अर्थ को उपार्जन कर सकते है।
इस अवसर पर जनसंपर्क अधिकारी सुनील वर्मा, डॉ.प्रणय तिवारी समेत पशु चिकित्सा विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
आज के परिप्रेक्ष्य में केले का विकल्प शहतूत रेशम कीे खेती-रेशम नोडल अधिकारी श्री सोनी
बुरहानपुर -(29 मई 2013)- आज के परिप्रेक्ष्य में केले का विकल्प शहतूत रेशम की खेती की जानकारी देते हुए रेशम के नोडल अधिकारी श्री सोनी ने बताया कि शाहपुर क्षेत्र में 18 और 28 मई को आये चक्रवाती तूफान ने यहा के कृषकों की केले की फसल जो 12 से 16 माह पुरानी हो चली परिपक्व फसल पर पानी फेर दिया। जिससे किसानों की केले की फसल को भारी नुकसान हुआ। किसान सोचने को मजबूर है कि ऐसी क्या फसल ली जाये जो प्राकृतिक आपदा को झेलते हुए कृषकों को बेहतर आमदनी सुनिश्चित करें। इसी कड़ी में रेशम का महत्व बताते हुए श्री सोनी ने रेशम की खेती की योजना का गहन अध्ययन एवं अवलोकन के पश्चात जिले में किसान भाईयों के लिये शहतूत रेशम की खेती लायी गई है।
यह है रेशम की खेती की विशेषता:-
ऽ शहतूत का पौधा एक बार लगाने के बाद 15-20 वर्ष तक पत्ती का उत्पादन देता है। जो कि रेशम कीट का भोजन है शहतूत पौधे माह-जुलाई और अगस्त में 1 एकड़ में 5500 पौधे लगाये जाते है जो कि रेशम विभाग निःशुल्क देते है।
ऽ रेशम कीटपालन, यानी रेशम की खेती वर्ष 5-7 बार फसल होती है जबकि अन्य कोई भी कृषि की फसल एक या दो बार तक होती है।
ऽ शहतूती रेशम की फसल एक लोती ऐसी फसल है जो कि पत्ती से आमदानी देती है। जबकि अन्य फसलें पकने पर फल या बीज से आमदानी देती है जो कि जोखिम से परिपूर्ण है।
ऽ रेशम कीटपालन कार्य कमरे के अंदर किया जाता है। जिससे प्राकृतिक आपदा को कोई प्रभाव नही पड़ता हैं शहतूती बगीचे में भी ओला, आंधी और तूफान आदि से कोई नुकसान नही होता है।
ऽ रेशम कोकून की दरे अंतराष्ट्रीय दर एवं मांग के अनुरूप होती है। वर्तमान में भारत में 25 हजार मेट्रीक टन रेशम कोकून की मांग है। जबकि आपूर्ति मात्र 16 हजार मेट्रीक टन है शेष 9 हजार मेट्रीक टन विदेश से आयात होती मांग की पूर्ति करने के लिये 1 लाख एकड़ में शहतूती रेशम लगाने पर पूर्ति हो जायेगी। अतः कोकून की क्रय दर में कमी नही आयेगी।
ऽ शहतूती पौधारोपण कमिपालन कार्य से कृषक 1 एकड़ में प्रथम वर्ष में 20-30 हजार, द्वितीय वर्ष के 0.90 से 1.25 लाख और तृतीय वर्ष में 1 लाख से 2.5 लाख की आमदनी प्राप्त कर सकता है।
ऽ प्रथम वर्ष में अनुदान शहतूत पौधो के लिये 8250 रूपये, कमिपालन भवन (20’30) के लिये 75 हजार, सिंचाई (ड्रिप) के लिये 15 हजार रूपये, उपकरण 37 हजार 500 रूपये कुल 1 लाख 35 हजार 750 रूपये का अनुदान प्रदान किया जाता है। जिसके लिये वर्ष भर पानी का साधन होना अनिवार्य है माह में 8 सिंचाई लगती है प्रत्येक फसल के पश्चात 1 ट्राली गोबर खाद एवं सिंचाई अनिवार्य है।
इस योजना का लाभ लेने के लिये किसान भाई हरिशंकर सोनी मो. 9926959068, पी.पी.शाक्य 9926484082, आर.एस.पावर 9754950435 और फैजान बेग 9753004241 से संपर्क कर सकते है।
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