Sunday 27 October 2013

JANSAMPARK NEWS 27-10-13

जिला जनसंपर्क कार्यालय-बुरहानपुर
समाचार
जिले के 536 मतदान केन्द्रों की व्यवस्थाओं की रिटर्निंग आफिसर ने की समीक्षा
49 सेक्टर अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों ने दी जानकारियां
बुरहानपुर (27 अक्टूबर 2013)- जिले के 536 मतदान केन्द्रों की व्यवस्थाओं की नेपानगर के रिटर्निंग आफिसर सूरज नागर और बुरहानपुर विधानसभा के रिटर्निंग आफिसर काशीराम बडोले ने बैठक में समीक्षा की। जिले के समस्त 49 सेक्टर के आफिसर और पुलिस अधिकारियों ने अपने अधीनस्थ मतदान केन्द्रों की तैयारियों की जानकारी दी। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री आशुतोष अवस्थी और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुरेश्वरसिंह ने बैठक का निरक्षण किया।
    नेपानगर विधानसभा क्षेत्र के 241 मतदान केन्द्रों को 29 सेक्टरों में विभाजित किया गया है। नेपानगर के रिटर्निंग आफिसर श्री नागर ने सेक्टर अधिकारियों से मतदान केन्द्रों की व्यवस्थाओं की जानकारी ली। और कहा कि मतदान केन्द्रों पर विधानसभा का क्रमांक नाम केन्द्र क्रमांक सहित सभी जानकारी स्पष्ट अंकित हो वह सुनिश्चित करें। मतदान केन्द्रों पर पहुंचने वाले मतदान दलों को कोई असुविधा न हो इस हेतु पेयजल व सुविधाघर की उपलब्धता प्राथमिकता से उपलब्ध कराई जाने हेतु कार्यवाही करें। एसडीओपी किरण लश्कर ने मतदान केन्द्रों की कानून व्यवस्था की समीक्षा की।
    बुरहानपुर के 295 मतदान केन्द्रों को 20 सेक्टरों में बांटा गया है। बुरहानुपर के रिटर्निंग आफिसर काशीराम बडोले ने सेक्टर आफिसर और पुलिस अधिकारियों से मतदान केन्द्रों की व्यवस्थाओं की समीक्षा की। सीएसपी श्री परिहार भी बैठक में उपस्थित थे। बैठक में मतदान केन्द्रों पर सार्वजनिक व्यवस्था दुरस्थ करवाने और मतदान केन्द्रों की पहचान कर तदानुसार वनरेवल कार्यवाही करें। बैठक में संबंधित सभी अधिकारी उपस्थित थे।
क्र- 86/2013/1046/वर्मा

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम संबंधी प्रमुख कानूनी प्रावधान
बुरहानपुर (27 अक्टूबर 2013)- विधानसभा निर्वाचन 2013 के तहत मतदान की प्रक्रिया आगामी 25 नवम्बर को सम्पन्न होगी। बुरहानपुर जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों के साथ-साथ पूरे प्रदेश में आदर्श चुनाव आचरण संहिता लागू है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री आशुतोष अवस्थी ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी सभी निर्वाचन नियमों के पालन के लिये सर्वसंबंधितों को समुचित दिशा निर्देश जारी कर दिये है। निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के प्रमुख कानूनी प्रावधानों की जानकारी देते हुये उन्होंने बताया कि भ्रष्ट आचरण और निर्वाचन अपराधों के बारे में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 तथा निर्वाचन संबंधी अपराधों के बारे में भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय-9 के तहत यदि कोई व्यक्ति भ्रष्ट आचरणों तथा निर्वाचन अपराधों का दोषी पाया जाता है, तो विधि के अनुसार उसका निर्वाचन शून्य घोषित किया जा सकता है या उसे जैसे कि विधि में बताया गया है, जुर्माने से या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। इस अधिनियम के अन्य प्रमुख प्रावधान निम्नानुसार हैः-
धारा-125  निर्वाचन के संबंध में वर्गों के बीच शत्रुता बढाना
    चुनाव के सिलसिले में धर्म, वंश, जाति, समुदाय या भाषा की बुनियाद पर भारत के नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता या घृणा की भावना को बढावा देने की चेष्टा करना संज्ञेय अपराध है।
धारा-126  किसी मतदान क्षेत्र में मतदान समाप्त होने के समय के पहले 48 घण्टे के अन्दर आमसभा करने के संबंध में किसी मतदान क्षेत्र में मतदान की तारीख या तारीखों में और मतदान खत्म होने के समय के पहले 48 घण्टे के अन्दर आमसभा बुलाने या ऐसी सभा में हाजिर रहने की मनाही है। यह असंज्ञेय अपराध है।
धारा-127  चुनाव सभा में व्यवधान
    यदि कोई व्यक्ति इस धारा के अन्तर्गत वर्णित राजनीतिक आमसभा में बाधा डालने के उद्देश्य से कोई उपद्रव करता है अथवा ऐसा करने के लिये दूसरे को उकसाता है तो उसे 6 माह तक के कारावास या/एवं 2000 रूपये के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। यह अपराध संज्ञेय है। यह धारा निर्वाचन अधिसूचना की दिनांक से विवेचना दिनांक के मध्य की अवधि में आयोजित होने वाली राजनीतिक सभाओं के संबंध में ही लागू होगी। यदि किसी पुलिस अधिकारी को किसी व्यक्ति द्वारा उक्त अपराध घटित करने की युक्तियुक्त आशंका होती है एवं यदि उस राजनीतिक सभा के अध्यक्ष द्वारा प्रार्थना किये जाने पर उस व्यक्ति से तत्काल अपना नाम पता बताने की मांग कर सकता है एवं यदि पुलिस अधिकारी को यह आशंका होती है कि उस व्यक्ति द्वारा अपना गलत नाम व पता दिया है तो वह उस व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है।
    (क)कोई भी व्यक्ति किसी निर्वाचन पुस्तिका, पोस्टर को मुखपृष्ठ पर मुद्रक व प्रकाशक के नाम के बिना प्रकाशित नहीं करेगा और न ही करवायेगा। इस धारा का अपराध 6 माह तक के कारावास तथा 2000 रूपये या दोनो के जुर्माने से दण्डनीय है।
धारा-128  मतदान की गोपनीयता को बनाये रखना
    चुनाव कार्य में लगे सभी शासकीय कर्मचारी मतदान एवं मतदान संबंधी सम्पूर्ण प्रक्रिया को गोपनीय बनाये रखेगे। इस धारा के तहत अपराध में तीन माह की सजा या/जुर्माने से दण्डित होगा। यह अपराध असंज्ञेय है।
धारा-129 किसी पुलिस अधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति को वोट देने या न देने हेतु प्रेरित करना
    कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी चुनाव में किसी को वोट देने या न देने के लिये प्रेरित नहीं करेगा और न मतदान करने के बारे में किसी भी प्रकार से किसी व्यक्ति पर कोई असर डालने की कोशिश करेगा। यह अपराध संज्ञेय है।
धारा-130  मतदान केन्द्रो मे या उनके निकट मत संयाचना का प्रतिशेध
    उस तारीख या उन तारीखों में, जबकि किसी मतदान स्टेशन में मतदान होने वाला है, उस मतदान स्टेशन से 100 मीटर के फासले के अन्दर किसी आम या निजी जगह में नीचे बतलाई गई बातों की मनाही है।
    (क) वोट के लिये प्रचार करना। (ख) वोट के लिये याचना करना। (ग) किसी खास उम्मीदवार को वोट न देने के लिये किसी देने वाले को प्रेरित करना। (घ) चुनाव में वोट न देने के लिये किसी वोट देने वाले को प्रेरित करना। (च) कोई चुनाव से संबंधित कोई नोटिस या चिन्ह (सरकारी चिन्हों के अलावा) प्रदर्षिंत करना, उक्त उपराध 250 रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय है। यह अपराध संज्ञेय है।
धारा-131  मतदान केन्द्रो में या उनके निकट विच्छंखल आचरण के लिये शास्ति
    मतदान के समय किसी मतदान केन्द्र के अन्दर या उसके भीतर जाने के लिये बने दरवाजे या उसके करीब किसी आम या निजी जगह में लाउड स्पीकर बगैरह का इस्तेमाल करने या शोर करने या किसी दूसरे प्रकार से बेहूदा बर्ताव करने या किसी व्यक्ति को ऐसा करने में जान बूझकर सहायता देने या प्रेरित करना तीन माह के कारावास एवं/या जुर्माने से दण्डनीय है। यह अपराध असंज्ञेय है।
    लेकिन यदि किसी पुलिस अधिकारी को किसी चुनाव केन्द्र के अध्यक्ष केन्द्र के अध्यक्ष द्वारा किसी व्यक्ति को इस जुर्म के लिये गिरफ्तार करने का आदेश दिया जावें, तो उस पुलिस अधिकारी के लिये उस व्यक्ति को गिरफ्तार करना जरूरी होगा। किसी पुलिस अधिकारी को यह अधिकार है कि वह मतदान के समय मतदान केन्द्र में या उसके करीब इस धारा के उल्लंघन को रोकने के लिये जरूरी कदम उठा सकता है और जरूरी बल प्रयोग कर सकता है और इस प्रकार की खिलाफ मर्जी के लिये इस्तेमाल में लाये जाने वाले लाउड स्पीकर या दीगर यंत्र को जप्त कर सकता है।
धारा-132  मतदान केन्द्र के अवचार के लिये शास्ति
    मतदान केन्द्र में ड्यूटी के लिये तैनात कोई भी पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को, जो उस मतदान केन्द्र पर मतदान के लिये मुकर्रर किये गये समय के बीच में दुर्व्यवहार करता है या चुनाव केन्द्र के अध्यक्ष द्वारा कायदे के मुताबिक दिये गये आदेशो को नहीं मानता है वहॉ से हटा सकता है, लेकिन इस अधिकार को इस प्रकार इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये, जिससे कि कोई व्यक्ति, जिसे अन्यथा वह वोट देने का अधिकार है, वोट न देने पावे। मतदान केन्द्र के उपर बताये गये मुताबिक हटा दिये जाने के बाद केन्द्र के अध्यक्ष की इजाजत के बिना उस मतदान केन्द्र के अन्दर फिर से आना भी संज्ञेय अपराध है।
धारा-133  चुनाव हेतु अवैधानिक रूप से वाहनो का परिवहन करना
    चुनाव हेतु किराये पर अथवा अन्य तरीके से किसी प्रत्याशी अथवा उसके एजेन्ट अथवा अन्य व्यक्ति द्वारा प्रत्याशी की सहमति से मतदाताओं को चुनाव केन्द्र तक लाने अथवा उसे निकट स्थान तक लाने/ले जाने के लिये किसी प्रकार के परिवहन की व्यवस्था करना, चुनाव में भ्रष्ट आचरण के तहत आता है। उपरोक्त अपराध तीन माह के कारावास एवं जुर्माने से दण्डनीय है। यह अपराध असंज्ञेय है।
धारा-134 (ख)  मतदान केन्द्रो के पास घातक हथियारो से भ्रमण नहीं करना
    चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों के अलावा अन्य कोई भी व्यक्ति मतदान के दिन मतदान केन्द्र के पास घातक हथियारो से जो आर्म्स एक्ट से परिभाषित है, के साथ भ्रमण नहीं करेगा। इस धारा का अपराध करने पर दो वर्ष का कारावास या/एवं जुर्माने का प्रावधान है। यह अपराध संज्ञेय है।
धारा-135  बूथ कैप्चरिंग
    जो कोई बूथ कैप्चरिंग का अपराध करता है वह न्यूनतम एक वर्ष से तीन वर्ष तक के कारावास एवं जुर्माने से दण्डित होगा तथा किसी शासकीय अधिकारी/कर्मचारी द्वारा यह अपराध करने पर वह न्यूनतम तीन से पांच वर्ष की संजा एवं जुर्माने से दण्डित होगा। बूथ कैप्चरिंग से तात्पर्य बूथ पर बल प्रयोग कर कब्जा करना है। इसके अलावा निम्न कार्यवाही भी बूथ कैप्चरिंग की श्रेणी में मानी जायेगी।
1.    मतदान केन्द्र या नियत स्थान को अपने कब्जे में लेकर मात्र अपने समर्थकों को ही मत डालने देना तथा अन्य लोगो को इस अधिकार से वंचित करना।
2.    किसी मतदान को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से धमकी देना या वहॉ मतदाताओं को मत देने या न देने के लिये बाध्य करना।
3.    मतगणना के स्थान पर कब्जा करना अथवा ऐसा कार्य करना, जो मतगणना को प्रभावित करता हो।
धारा-135 (ग)
    मतदान समाप्त होने के नियत सीमा के 48 घण्टे पूर्व की अवधि में उस मतदान क्षेत्र के भीतर शराब या अन्य मादक पदार्थों का विक्रय वितरण किया जाना सख्त मना है।
धारा-136  अन्य अपराध
1.    किसी नामांकन पत्र को छलपूर्वक नष्ट अथवा खराब करना।
2.    निर्वाचन अधिकारी द्वारा लगाये गये नोटिस अथवा अन्य किसी दस्तावेज को छलपूर्वक निकालना अथवा नष्ट करना अथवा खराब करना।
3.    किसी मतपत्र या अन्य किसी चुनाव संबंधी शासकीय सील, इत्यादि को छलपूर्वक नष्ट करना या खराब करना।
4.    अधिकार क्षेत्र के बिना किसी व्यक्ति से चुनाव पत्र लेना अथवा देना।
5.    मतपेटी में छलपूर्वक मतपत्र के अलावा अन्य कोई अनैतिक वस्तु डालना।
6.    बिना अधिकार के किसी मतपेटी अथवा मतपत्रों को कब्जे में लेना, खोलना अथवा नष्ट करना।
7.    छलपूर्वक तथा बिना अधिकार क्षेत्र के उपरोक्त में से किसी कृत्य को करना अथवा करने के उत्प्रेरण करना।
    उपरोक्त में से कोई अपराध यदि चुनाव ड्यूटी में लगे किसी अधिकारी द्वारा किया जाता है, तो वह दो वर्ष तक के कारावास/या जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। इसके अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपरोक्त अपराध करने पर उसे 6 माह तक का कारावास एवं/या जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। यह अपराध संज्ञेय है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा-171  रिश्वत
    किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को अपने पक्ष में अथवा अन्य किसी के पक्ष में मतदान करने के लिये किसी प्रकार से ईनाम/पारितोषिक अथवा अन्य कोई लालच देकर प्रेरित या आश्वासन दिया जाना, इस धारा के तहत अपराध होगा। परन्तु किसी लोकनीति की घोषणा इसके अन्तर्गत नहीं आती।
धारा-171-ग  निर्वाचन पर अवैध प्रभाव डालना
    जो कोई किसी व्यक्ति को किसी के पक्ष में मतदान करने या न करने के लिये किसी प्रकार की क्षति की धमकी देता है, वह इस अपराध का अपराधी होगा।
धारा-171-घ  निर्वाचन में प्रतिरूपण
    कोई भी किसी अन्य व्यक्ति के नाम मतदान करने हेतु प्रेरित करता है या दुष्प्रेरित करता है, तो वह इस अपराध का अपराधी होगा। उपरोक्त तीनो अपराध में अपराधी एक साल तक के कारावास या जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
धारा 171-छ  निर्वाचन के संबंध में मिथ्याकथन
    कोई व्यक्ति किसी चुनाव को प्रभावित करने के लिये किसी प्रत्याशी के व्यक्ति सील या आचरण के संबंध में जान बुझकर कोई असत्य/मिथ्या कथन करता है, तो वह इस धारा के तहत अपराधी होगा। यह अपराध जुर्माने से दण्डनीय है।
धारा-171 ज  निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदाय
    जो कोई व्यक्ति किसी प्रत्याशी की अनुमति के बिना प्रत्याशी के पक्ष में किसी प्रकार का विज्ञापन प्रकाशित करता है या अन्य कोई व्यय करता है/करवाता है, तो वह इस धारा के तहत 500 रूपये तक के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
धारा-171 झ  निर्वाचन लेखा जमा करने में असफलता
    विधि अथवा नियम के तहत जो व्यक्ति जिस निर्वाचन के संबंध में व्यय का लेखा-जोखा रखा जाना है, यदि वह ऐसा करने में असफल रहता है वह 500 रूपये तक के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। उपरोक्त धाराओ में अभियुक्त को जुर्माने से दण्डित जा सकता। धारा 171 की समस्त धाराएं  (ख-से लेकर झ तक) असंज्ञेय एवं जमानती है।
मध्यप्रदेश सम्पत्ति विरूपण अधिनियम 1994
    इस अधिनियम की धारा-3 के तहत जो व्यक्ति पेन्ट, स्याही, चॉक या अन्य सामग्री से किसी सम्पत्ति  पर कुछ भी लिखकर या अन्य प्रकार से एस सम्पत्ति के मालिक की लिखित अनुमति के बिना सम्पत्ति का विरूपण करता है, वह 1000 रूपये के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। विरूपण से तात्पर्य किसी वस्तु सामग्री की सामान्य लिखावट, सुन्दरता को खराब कर नुकसान पहुँचना, उसमें बाधा पैदा करना, अपभ्रष्ट करना इत्यादि माना जायेगा। भवन, ईमारत, दीवार, पेड, खम्बा, टॉवर, बाड, बाउण्ड्रीवॉल यह सब सम्पत्ति में शामिल माना जायेगा। यह अपराध संज्ञेय है।
मध्यप्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985
    इस अधिनियम के तहत कोलाहल से तात्पर्य इस प्रकार की आवाज से है, जो किसी सामान्य व्यक्ति को मानसिक अथवा शारीरिक रूप से कष्ट पहुँचाती हो। तथापि सक्षम अधिकारी उपरोक्त प्रतिबंध से छूट दे सकता है।
धारा-15 सजारू- इस अधिनियम/उसके नियम का उल्लंघन करने पर 6 माह तक के कारावास या/एवं 1000 रूपये तक के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
धारा-16(1) ध्वनि विस्तारक जब्त करने की शक्ति
प्रधान आरक्षक और उसके उपर का कोई भी पुलिस अधिकारी इस अधिनियम/नियम का उल्लंघन करने पर ध्वनि विस्तारक को जप्त कर सकता है।
धारा-16(2)  पुलिस अधिकारी/न्यायालय के समक्ष ध्वनि विस्तारक के कब्जे के हकदार व्यक्ति द्वारा समाधानकारक/जमानत पेश करने पर पुलिस अधिकारी/न्यायालय ध्वनि विस्तारक को सुपूर्दनामें पर वापिस दे सकता है।
धारा-16 (3)  जो व्यक्ति कार्यपालिक दण्डाधिकारी से अनुमति लेकर ध्वनि विस्तारक का प्रयोग करता है, उसे पुलिस अधिकारियों द्वारा मांगने पर ऐसा अनुमति पत्र पेश करना अनिवार्य हैं। अन्यथा वह एक माह तक के कारावास या/एवं 500 रूपये से दण्डित किया जा सकता है। इस अधिनियम के तहत उपरोक्त समस्त अपराध असंज्ञेय एवं जमानती हैं।
क्र- 87/2013/1047/वर्मा



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JANSAMPARK NEWS 30-08-18

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