Thursday 31 January 2013

jansampark news 31-1-13


जिला जनसंपर्क कार्यालय-बुरहानपुर
समाचार
चना फसल में इल्ली पॉडबोरर की रोकथाम हेतु कृषि उपंसचालक ने सुझाय उपाय
बुरहानपुर ( 31 जनवरी) -  उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग श्री मनोहरसिंह देवके ने जिले के किसान भाईयों को फसलों में इल्ली (पोढबोरर) की रोकथाम के लिए उपाय बताये है। जिसके अंतर्गत किसान भाई फसलो में बढ़ रहे इल्लीयों के प्रकोप को रोकने के लिए इन बिन्दुओं पर ध्यान दे।
        कि कृषक खेतो मे उपलब्ध जैविक किट जैसे कैम्पोलोटिस क्लोरिडी (इल्ली परजीवी) लेडीबड,बीटल, क्रायसोपा, रेडयूविड बीटल, परभक्षी वास्प एवं परभक्षी मकड़ियों का संरक्षण करें। मित्र पक्षियों जैसे नीलकंठ,कावंर,पैगा,काली, चिडिया, गलगलिया आदि को बैठने के लिये फसल में एक फुट ऊंची मुड़ी हुई लकड़ियांे अथवा टी आकार की लकडियों को खेतों में 10-12 स्थानों पर प्रति हैक्टर गाढ़ दे ताकि ये मित्र पक्षी इन लकड़ियों पर बैठकर इल्लियों कों चुनकर नष्ट कर सकें। इसके लिए रासायनिक नियंत्रण के लिए प्रति मीटर कतार में दो या दो से अधिक इल्लीयां मिलने पर फसल पर निम्नानुसार बताए गए किसी भी एक कीटनाषक छिड़काव करें एक हेक्टर फसल के लिये कीटनाषक की मात्रा 500-600 लीटर पानी मंें घोल बनाकर उपयोग करें।
यह कीटनाषक का उपयोग करेंः- उपसंचालक, कृषि श्री देवके ने अधिक जानकारी देते हुए बताये कि जिले के किसान भाई अपनी चना फसल के लिये -
1                       प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी.                1.00 लीटर
2                क्यूनालफॉस 25 ई.सी.                1.25 लीटर
3                ट्रायजोफॉस 40 ई.सी.                1.00 लीटर
4                 प्रोफेनोफॉस$ सायपरमेथ्रन 50 ई.सी.        1.00 लीटर
5                ट्रायजोफॉस $ डेल्टामेथ्रिन 36 ई.सी.        1.00 लीटर
6                मिथेमिल 75 डब्ल्यू पी.                1.00 कि.ग्रा.

छोटी अवस्था की इल्लिया किसी भी कीटनाशक से मर जाती है लेकिन बड़ी अवस्था के नियंत्रण के लिये क्रमांक-2 एवं उसके निचे की कीटनाशक दवाओं की उपयोग करें। यदि इल्ली काफी बड़ी हो गई है तो दवायें एवं मिश्रण ही प्रभावी हो पाते है यदि छिडकांव हेतु पंप या पानी की उपलब्धता की समस्या हो तो छोटी अवस्था की इल्लियों पर क्यूनालफॉस 1.50 प्रतिषत चूर्ण या मिथाईल पैराथियॉन 2 प्रतिषत चूर्ण या फैनवलरेट 0.4 प्रतिषत चूर्ण का 25 किलो प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करें। चूर्ण का भुरकाव डस्टर से ही करें जिससे दवा का फसल पर समान रूप से भुरकाव हो सके। आवष्यकता पड़ने पर 15 दिनों बाद दुसरा छिड़काव या भुरकाव करें।

                                                                 क्र.ं/2013/92/वर्मा
                                      
                                            




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